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प्लास्टिक को उपयोगी उत्पादों में बदल सकते हैं नये फोटोकैटलिस्ट

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, रविवार, 27 मार्च 2022 (13:48 IST)
नई दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी के शोधकर्ताओं को एक ऐसी पद्धति विकसित करने में सफलता मिली है, जो प्रकाश के संपर्क में आने पर प्लास्टिक को हाइड्रोजन समेत अन्य उपयोगी उत्पादों में बदलने में सक्षम है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि प्लास्टिक से हाइड्रोजन का उत्पादन विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि इसे भविष्य के सबसे व्यावहारिक और स्वच्छ ईंधन के रूप में देखा जाता है।

अधिकांश प्लास्टिक पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं, जो अपघटित नहीं होते, और मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो प्लास्टिक को आसानी से हानि-रहित उत्पादों में विघटित नहीं किया जा सकता। बताया जाता है कि अब तक बने 4.9 बिलियन टन प्लास्टिक का अधिकांश हिस्सा अंततः लैंडफिल पहुंचेगा, जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य और पर्यावरण को बड़ा खतरा है।

प्लास्टिक प्रदूषण रोकने की आवश्यकता से प्रेरित होकर आईआईटी, मंडी के शोधकर्ता काफी समय से ऐसी पद्धति विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो प्लास्टिक को उपयोगी रसायनों में बदलने में सक्षम हो।

इस दिशा में काम करते हुए शोधकर्ताओं ने एक कैटलिस्ट विकसित करने में सफलता प्राप्त की है, जो प्रकाश के संपर्क में प्लास्टिक को हाइड्रोजन और अन्य उपयोगी रसायनों में बदल सकती है।

कैटलिस्ट (उत्प्रेरक) ऐसे पदार्थ होते हैं, जो कठिन या असंभव अभिक्रियाओं की दर को तेज करने में भूमिका निभाते हैं। प्रकाश के संपर्क में आने से सक्रिय होने वाले कैटलिस्ट फोटोकैटलिस्ट कहलाते हैं। आईआईटी, मंडी के शोधकर्ताओं द्वारा विकिसत फोटोकैटलिस्ट आयरन ऑक्साइड को नैनो कणों के रूप में एक संवाहक पॉलिमर पॉलीपाइरोल के साथ जोड़ती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि पाइरोल के साथ आयरन ऑक्साइड नैनो कणों के संयोजन से एक अर्धचालक-अर्धचालक विषमता का निर्माण होता है, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत दृश्य-प्रकाश-प्रेरित फोटोकैटलिटिक गतिविधि होती है। फोटोकैटलिस्ट को आमतौर पर सक्रियण के लिए पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश की आवश्यकता होती है, और इसलिए, विशेष बल्बों की आवश्यकता होती है। नया कैटलिस्ट सूर्य के प्रकाश के साथ कार्य कर सकता है।

उत्प्रेरक का उपयोग करने पर चार घंटे के भीतर 100% निम्नीकरण देखा गया है, जिसमें पॉलीपाइरोल मैट्रिक्स में लगभग 4% वजन वाला आयरन ऑक्साइड मौजूद था। इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस उत्प्रेरक का पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) पर परीक्षण किया, जो एक प्लास्टिक है, जिसका खाद्य पैकेजिंग, वस्त्र, चिकित्सा उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधन में व्यापक उपयोग होता है। उन्होंने पाया कि उत्प्रेरक को दृश्य प्रकाश के संपर्क में लाया जाता है, तो पीएलए के टूटने के दौरान हाइड्रोजन का उत्पादन होता है।

आईआईटी, मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. प्रेम फेक्सिल सिरिल के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित किया गया है।

डॉ प्रेम फेक्सिल सिरिल ने कहा, “प्लास्टिक के प्रभावी विनाश का आदर्श मार्ग उन्हें उपयोगी रसायनों में बदलना है। हमने सबसे पहले मिथाइल ऑरेंज पर इसकी प्रतिक्रिया को देखकर कैटलिस्ट की फोटोकैटलिटिक गतिविधि का पता लगाया, जिसका रंग नारंगी से रंगहीन में बदल गया, जो दर्शाता है कि नया उत्प्रेरक किस हद तक इसे रासायनिक रूप से विघटित करने में सक्षम था।"

प्रोफेसर सिरिल ने आगे कहा, "हाइड्रोजन का उत्पादन अपने आप में एक अच्छी बात है, और हम कार्बन डाइऑक्साइड की अनुपस्थिति को लेकर भी उत्साहित हैं।

प्लास्टिक से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए विकसित किए गए अधिकांश अन्य फोटोकैटलिस्ट ग्रीनहाउस गैस को सह-उत्पाद के रूप में छोड़ते हैं। जबकि, यह नया कैटलिस्ट लैक्टिक एसिड, फॉर्मिक एसिड और एसिटिक एसिड जैसे उपयोगी रसायनों का सह-उत्पादन करता है,"

नये फोटोकैटलिस्ट का उपयोग प्लास्टिक उपचार तक सीमित नहीं है। इसका उपयोग खाद्य अपशिष्ट और अन्य बायोमास की फोटो-रिफॉर्मिंग और जल-प्रदूषकों को विघटित करने के लिए भी किया जा सकता है। नैनो आयरन ऑक्साइड और पॉलीपाइरोल के दिलचस्प विषमता युक्त गुण ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरणीय अनुप्रयोगों के लिए नये उत्प्रेरक के विकास की गुंजाइश प्रदान करते हैं।

इस अध्ययन को शिक्षा मंत्रालय के शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने से जुड़ी योजना (SPARC) द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

प्रोफेसर डॉ. प्रेम फेक्सिल सिरिल के अलावा, इस अध्ययन से जुड़े अन्य शोधकर्ताओं में डॉ. अदिति हलदर, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी, मंडी; और उनके पीएच.डी. शोधार्थी, रितुपोर्न गोगोई, आस्था सिंह, वेदश्री मुतम, ललिता शर्मा, और काजल शर्मा शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)

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