नई दिल्ली। नौसेना ने शुक्रवार को सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल का पहली बार 2 युद्धपोतों में परस्पर सहयोग के जरिए सफल परीक्षण किया जिसके साथ ही वह इस तरह की उपलब्धि हासिल करने वाली चुनिंदा नौसेनाओं में शामिल हो गई।
पश्चिमी समुद्री तट पर यह परीक्षण नौसेना के युद्धपोतों आईएनएस कोच्चि और चेन्नई द्वारा किया गया। इन दोनों युद्धपोतों से दागी गई मिसाइलों को परस्पर सहयोग के जरिए एक ही युद्धपोत से नियंत्रित किया गया और अलग-अलग लक्ष्यों पर निशाना लगाया गया। नौसेना ने यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के सहयोग से किया।
सतह से हवा में मार करने वाली ये मिसाइलें कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक युद्धपोतों में लगी हैं और भविष्य में बनाए जाने वाले सभी युद्धपोतों पर भी लगाई जाएंगी। मिसाइल दागने में 2 युद्धपोतों के सहयोग के इस परीक्षण के सफल होने के साथ ही भारतीय नौसेना यह तकनीक हासिल करने वाली दुनिया की गिनी-चुनी नौसेनाओं में शुमार हो गई है। इससे नौसेना की मारक क्षमता बढ़ेगी और उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त हासिल होगी।
यह परीक्षण संबंधित एजेंसियों और संगठनों की वर्षों की कोशिशों का परिणाम है। डीआरडीओ की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला डीआरडीएल ने इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ मिलकर यह मिसाइल विकसित की है। देश में यह मिसाइल भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने बनाई है। (वार्ता)