वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को उत्सवी माहौल में गंगा में विशेष प्रकार से फूलों से सजे बजरे पर नौका विहार के जरिए घाटों से वाराणसी की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों की विरासत का अद्भुत छटा से रूबरू कराया।
दोनों शीर्ष नेताओं के स्वागत के लिए पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। गंगा घाटों पर फूलों एवं इसकी रंगोली बनाकर बेहद खास तरीके से सजाया गया है। घाटों के उस पार गंगा तट पर लगभग साढ़े तीन किलोमीटर के दायरे में भारत और फ्रांस के 20 हजार से अधिक राष्ट्रीय ध्वजों से सजाया गया है।
मैक्रों, मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐतिहासिक असि घाट से दशाश्वमेध घाट तक फूलों से सजे विशेष प्रकार के बजरे पर सवार होकर लगभग 40 घाटों एवं उसके आसपास की ऐतिहिक एवं धार्मिक इमारतों को निहारा। अभूतपूर्व मेजबानी से प्रसन्न मैक्रों कई बार बजरे पर खरे होकर घाटों पर खड़े लोगों का अभिवादन स्वीकार करते नजर आए।
नौकायन से से पहले लाल कारपेट असि घाट पर पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार, शंख और शहनाई की मधुर धुनों के बीच महिलाओं ने फूल भेंट कर विदेशी मेहमान का स्वागत किया। सीढ़ियों पर उतरते हुए मोदी और मैक्रों हाथ थामे दिखे। मोदी के साथ मेहमान के नौकायन करते हुए ऐतहासिक नजारे का गवाह बनने के लिए घाटों और आसपास की इमारतो पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।
तिरंगा लहराते हुए वे मेहमानों का स्वागत और अभिवादन करते दिखे। उत्साहित कई लोगों का कहना था कि उन्होंने ऐसा खास नजारा काशी में कभी नहीं दिखा था। मोदी और मैक्रों दशाश्वमेध घाट से सड़क मार्ग से नरेसर स्थित ताज पैलेस (होटल गेटवे) के लिए रवाना हो गए, जहां उन्हें विशेष प्रकार की थाली में दावत दिया जाएगा।
गौरतलब है कि अपने लगभग साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान वाराणसी का लगभग 11 दौरे कर चुके मोदी का शीर्ष स्तर के विदेशी मेहमान के साथ यह दूसरा दौरा होगा। इससे पहले वे 12 दिसंबर 2015 को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ आए थे और अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ ऐतिहासिक दशाश्वमेध घाट पर आबे के साथ गंगा मां की पूजा-अर्चना के बाद विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भाग लिया था।