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नरेन्द्र मोदी ने कहा- देश के लिए कोई भी राजनीतिक कीमत चुकाने को तैयार

हमें फॉलो करें नरेन्द्र मोदी ने कहा- देश के लिए कोई भी राजनीतिक कीमत चुकाने को तैयार
, गुरुवार, 30 नवंबर 2017 (17:05 IST)
नई दिल्ली। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत के उज्जवल भविष्य और न्यू इंडिया के संकल्प को पूरा करने के लिए देश में व्यवस्थागत बदलाव के वास्ते ‘बड़ी से बड़ी राजनीतिक कीमत’ चुकाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने जोर दिया कि ‘अपरिवर्तनीय’ निर्णयों को लेने से सरकार को कोई नहीं रोक पाएगा। 
 
मोदी ने कहा कि आप सभी को पता है, 2014 में जब हम आए तो हमें विरासत में क्या मिला था? अर्थव्यवस्था की हालत, गवर्नेंस की हालत, राजकोषीय व्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम की हालत, सब बिगड़ी हुई थी। आप लोगों को तब कम शब्दों में यही बात कहनी होती थी, हेडलाइन में लिखना होता था, तो कहते थे, नीतिगत पंगुता...। उन्होंने कहा कि हमारा देश ‘फ्रेजाइल 5’ में गिना जाता था। दुनिया के तमाम देश सोचते थे कि अर्थव्यवस्था के संकट से हम तो उबर लेंगे लेकिन ये ‘फ्रेजाइल 5’ खुद तो डूबेंगे ही हमें भी ले डूबेंगे।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देखें कि भारत कहां खड़ा है, किस स्थिति में है, आप उससे भली-भांति परिचित हैं। बड़े हों या छोटे, दुनिया के ज्यादातर देश आज भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। अब तो रुकना नहीं है, आगे ही बढ़ते जाना है।
 
राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि मुझे पता है, इसकी मुझे राजनीतिक तौर पर कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन उसके लिए भी मैं तैयार हूं। मैंने इस राह को चुना है और इस राह पर देश को आगे ले जाना चाहता हूं। मोदी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला चल रहा है।
 
नोटबंदी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि नोटबंदी के बाद देश में जिस तरह का व्यावहारिक बदलाव आया है उसे आप खुद महसूस कर रहे होंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले समानांतर अर्थव्यवस्था का आधार था, वह नोटबंदी के बाद औपचारिक अर्थव्यवस्था में आया है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें कालाधन पैदा करना, व्यवस्था की कमजोरी की वजह से भ्रष्टाचार करने की संभावना कम से कम रह जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि जिस दिन देश में ज्यादातर खरीद-फरोख्त, पैसे के लेन-देन का एक तकनीकी और डिजिटल पता हो गया, उस दिन से संगठित भ्रष्टाचार काफी हद तक थम जाएगा।
 
मोदी ने कहा कि जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन व्यवस्था में रफ्तार आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार, नौकरशाही में भी एक नई कार्य-संस्कृति तैयार कर रही है। उसे ज्यादा जवाबदेह बना रही है।
 
उन्होंने कहा कि 2014 में देश के लोगों ने सिर्फ सरकार बदलने के लिए वोट नहीं दिया था। 2014 में वोट दिया गया था देश बदलने के लिए। व्यवस्था में ऐसे बदलाव लाने के लिए, जो स्थाई हों, अपरिर्वतनीय हों। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हमारी व्यवस्था की कमजोरी, हमारे देश की सफलता में आड़े आ रही थी।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। कालाधन ही देश के हर बड़े सेक्टर को कंट्रोल कर रहा था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ लोगों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था। उन्होंने वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए। उन्होंने कहा कि ये एक ऐसी व्यवस्था थी, जो देश की क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर पा रही थी।
 
हर तरफ देश में किसी ना किसी व्यक्ति को इस सिस्टम से लड़ना पड़ रहा था। ये मेरा प्रयास ही नहीं, कमिटमेंट भी है कि लोगों की सिस्टम से ये लड़ाई बंद हो, उनकी जिंदगी में अपरिवर्तनीय बदलाव आए, जीवन आसान बने।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हर संगठन, हर समाज, हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य को समझते हुए, अपने स्तर पर बदलाव की शुरुआत करेगा, तभी न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा। न्यू इंडिया का ये सपना सिर्फ मेरा नहीं है, आपका भी है। आज समय की मांग है कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी हर संस्था देश की आवश्यकताओं को समझते हुए, देश के सामने मौजूद चुनौतियों को समझते हुए, अपने स्तर पर कुछ संकल्प करे।
 
उन्होंने कहा कि 2022 में जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हमें इन संकल्पों को पूरा करना है। मैं आप लोगों को खुद तो कोई सलाह दे नहीं सकता, लेकिन यह बात हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम ने भी कही। सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि छोटी-छोटी चीजों के लिए, रेल-बस का टिकट कराने के लिए, गैस के कनेक्शन के लिए, बिजली के कनेक्शन के लिए, अस्पताल में भर्ती होने के लिए, पासपोर्ट पाने के लिए, इनकम टैक्स रीफंड पाने के लिए लोगों को परेशान ना होना पड़े, हमारी सरकार इन बातों का ध्यान रख रही है।
 
उन्होंने कहा कि इस सरकार के लिए भ्रष्टाचार मुक्त, नागरिक उन्मुख और विकास आधारित पारिस्थितिकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नीतियों पर आधारित, तकनीक पर आधारित, पारदर्शिता पर आधारित एक ऐसी पारिस्थितिकी जिसमें गड़बड़ी होने की, लीकेज की, गुंजाइश कम से कम हो। मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने, फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे। जो लोग इस बात पर यकीन करते हैं कि देश जादू की छड़ी घुमाकर नहीं बदला जा सकता, वो हताशा और निराशा से भरे हुए हैं। ये अप्रोच हमें कुछ भी नया करने से, नवोन्मेष करने से रोकती है।
 
उन्होंने कहा कि अगर हम देश को एक संपूर्णता में देखें, एक जीवित इकाई की तरह देखें, तो आज जो सकारात्मक भाव हमारे देश में आया है, वो पहले कभी नहीं था। मुझे नहीं याद पड़ता, देश के गरीबों ने, नौजवानों ने, महिलाओं ने, किसानों ने, शोषितों-वंचितों ने अपने सामर्थ्य, अपने संसाधन, अपने सपनों पर इतना भरोसा, पहले कभी किया था। (भाषा)

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