गुजरात विधानसभा चुनाव का प्रचार अब मुद्दों से भटककर निजी छींटाकशी पर आ गया है। हालांकि यह पहला अवसर नहीं है जब इस तरह की छींटाकशी हुई है। इससे पहले लोकसभा चुनाव और अन्य विधानसभा चुनावों में भी निम्नस्तरीय भाषा का उपयोग हो चुका है।
* गुरुवार (7 दिसंबर, 2017) को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए 'नीच' शब्द का उपयोग किया। हालांकि बाद में उन्होंने अनुवाद की खामी बताते हुए इसके लिए माफी मांग ली।
* मणिशंकर अय्यर ने ही लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी को चाय वाला कहते हुए कांग्रेस मीटिंग में चाय का स्टॉल लगाने की बात कही थी। हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस को इतनी भी सीटें नहीं मिलीं कि वह नेता प्रतिपक्ष का चुनाव कर सके।
* बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने डीएनए का जुमला उछाला था, जो उन पर ही भारी पड़ गया। तब भाजपा ने मुंह की खाई थी और बिहार में नीतीश और लालू ने मिलकर सरकार बनाई थी।
* पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुजरात दंगों का हवाला देते हुए नरेन्द्र मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द का उपयोग किया था, जो उनके लिए ही भारी पड़ गया।
* लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार भाजपा के नेता गिरिराजसिंह ने कहा था कि जो लोग मोदी का विरोध करते हैं वे पाकिस्तान की ओर देख रहे हैं। ऐसे लोगों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
* लोकसभा चुनाव के दौरान ही सहारनपुर से कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने नरेन्द्र मोदी के टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी थी। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
* लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को पाकिस्तानी एजेंट और AK-49 कहा था। इसके बावजूद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी।