देश-विदेश की पेट्रोलियम कंपनियों के प्रमुखों के साथ मोदी की बैठक कल

Webdunia
रविवार, 14 अक्टूबर 2018 (18:30 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को तेल एवं गैस क्षेत्र की वैश्विक और भारतीय कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के साथ उभरते ऊर्जा परिदृश्य पर विचार-विमर्श करेंगे। इस बैठक में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों तथा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा होगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तीसरी सालाना बैठक में तेल एवं गैस खोज तथा उत्पादन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने पर भी चर्चा होगी।
 
 
मोदी की इस बारे में पहली बैठक 5 जनवरी 2016 को हुई थी जिसमें प्राकृतिक गैस कीमतों में सुधार के सुझाव दिए गए थे। इसके 1 साल से कुछ अधिक समय बाद सरकार ने गहरे समुद्र जैसे कठिन क्षेत्रों जहां अभी उत्पादन शुरू नहीं हुआ है, के लिए प्राकृतिक गैस के लिए ऊंचे मूल्य की अनुमति दी गई थी।
 
अक्टूबर 2017 में इसके पिछले संस्करण में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और ऑइल इंडिया के उत्पादक तेल एवं गैस क्षेत्रों में विदेशी और निजी कंपनियों को इक्विटी देने का सुझाव दिया गया था। लेकिन ओएनजीसी के कड़े विरोध के बाद इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
 
सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद ये अल फलीह, बीपी के सीईओ बॉब डुडले, टोटल के प्रमुख पैट्रिक फॉएन, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल के सोमवार की बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।
 
इस बैठक का संयोजन नीति आयोग द्वारा किया जा रहा है। समझा जाता है कि बैठक में कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव तथा अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंध की चुनौतियों पर विचार-विमर्श होगा। सूत्रों ने बताया कि बैठक में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मोहम्मद बारकिंदो और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी शामिल होंगे।
 
इनके अलावा बैठक में ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शशि शंकर, आईओसी के चेयरमैन संजीव सिंह, गेल इंडिया के प्रमुख बीसी त्रिपाठी, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन मुकेश कुमार शरण, ऑइल इंडिया के चेयरमैन उत्पल बोरा और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन डी. राजकुमार भी भाग लेंगे। प्रधानमंत्री ने 2015 में लक्ष्य रखा था कि भारत 2022 तक पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता 2014-15 की तुलना में 10 प्रतिशत कम कर 67 प्रतिशत पर लाएगा। 

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