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Maharashtra में बड़ा राजनीतिक उलटफेर, जानिए 10 बड़ी बातें

हमें फॉलो करें Maharashtra में बड़ा राजनीतिक उलटफेर, जानिए 10 बड़ी बातें
, शनिवार, 23 नवंबर 2019 (11:11 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद चल रहे सियासी घटनाक्रम पर विराम लगाते भाजपा के देवेन्द्र फडनवीस ने शनिवार को दोबारा मुख्यमंत्री और राकांपा के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इससे महाराष्ट्र में बड़ा सियासी भूचाल आ गया। पेश हैं पूरे घटनाक्रम की 10 बड़ी बातें-
1. महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने शनिवार सुबह भाजपा के देवेन्द्र फडनवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा के अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
 
2. शुक्रवार की रात शिवसेना के नेतृत्व में कांग्रेस एवं राकांपा की गठबंधन सरकार बनने की अटकलें तेज थीं, लेकिन शनिवार सुबह स्थिति ने नाटकीय मोड़ ले लिया।
3. शपथ के बाद फडनवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के पूर्व हमारा गठबंधन शिवसेना के साथ हुआ था, लेकिन शिवसेना हमारा गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी। उनका आपस में तालमेल नहीं होने के कारण आज शनिवार को हमने राकांपा के साथ मिलकर एक स्थिर सरकार देने की कोशिश की है।
 
4. फडनवीस ने कहा है कि उनके पास बहुमत के लिए संख्या पूरी है और उसी के आधार पर राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी ने उनको शपथ दिलाई है।
 
5. राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि भाजपा की सरकार बनाने का उनका नहीं, अजित पवार का फैसला है। इस फैसले में मेरा कोई संबंध नहीं है।
 
6. शिवसेना नेता एवं सांसद संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने महाराष्ट्र की जनता और राकांपा प्रमुख शरद पवार को धोखा दिया है।
 
7. संजय राउत ने कहा कि कल शुक्रवार तक राकांपा के अजित पवार बैठक में शामिल थे, लेकिन वे आंख से आंख नहीं मिला पा रहे थे जिससे उन पर शंका हो रही थी।
 
8. संजय राउत ने कहा- अजित पवार की जगह जेल में थी जिसके डर से अपने बचाव के लिए उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया है।
 
‍9. कांग्रेस ने महाराष्ट्र में रातोरात बदले घटनाक्रम को राजनीतिक कुटिलता और जनादेश के साथ विश्वासघात बताया।
 
10. कांग्रेस के रणदीपसिंह सुरजेवाला ने तंज करते हुए ट्वीट किया- 'मुझे मत देखो यूं उजाले में लाकर, सियासत हूं मैं, कपड़े नहीं पहनती।' उन्होंने इसे राजनीतिक विश्वासघात बताते हुए कहा कि इसे कहते हैं- 'जनादेश से विश्वासघात, लोकतंत्र की सुपारी।'

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