Silkyara Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग (Vertical Drilling) 31 मीटर तक पहुंच चुकी है। सेना की मदद से मैन्युअल ड्रिलिंग भी की जाएगी। इस बीच, पीएम के प्रधानमंत्री सचिव ने भी टनल में फंसे मजदूरों से फोन पर बात की।
क्षैतिज ड्रिलिंग (Kshaitij Driling) कर रही ऑगर मशीन के टूटने के बाद वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए रविवार को सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग शुरू की गई थी। सिलक्यारा में बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे सीमा सड़क संगठन के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने बताया कि अब तक 31 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जा चुकी है। इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा।
4 दिन का समय और लगेगा : अधिकारियों ने रविवार को बताया था कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें 4 दिन का समय लगेगा। सिंह ने बताया कि ड्रिलिंग के दौरान मलबे में फंस गए, अमेरिकी ऑगर मशीन के शेष बचे हिस्से भी सोमवार को तड़के बाहर निकाल लिए गए जिसके बाद श्रमिकों के लिए पहले से बनाए जा रहे रास्ते को पूरा करने के लिए अब मैन्युल ड्रिलिंग शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए तैयारियां चल रही हैं।
शुक्रवार को दोपहर में जब 25 टन वजनी ऑगर मशीन टूटी, उस समय तक बचावकर्मी मलबे के अंदर 47 मीटर तक भेद चुके थे और श्रमिकों तक पहुंचने के लिए केवल 10-12 मीटर ड्रिल करना ही शेष रह गया था।
इस संबंध में सिंह ने कहा कि हम आधा मीटर से लेकर एक मीटर की दूरी लेते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे । अगर सब कुछ ठीक रहा और कोई अड़चन नहीं आई तो मलबे का 10 मीटर का हिस्सा 24 से 36 घंटों में ड्रिल किया जा सकता है। सुरंग के सिलक्यारा छोर से 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए चल रही क्षैतिज ड्रिलिंग में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए।
बचाव कार्यों के लिए उत्तराखंड की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने रविवार शाम सात बजे तक की स्थिति बताते हुए कहा था कि मलबे में ऑगर मशीन का केवल 8.15 मीटर हिस्सा ही निकाला जाना शेष रह गया है। सोमवार तड़के तक मशीन के सभी हिस्से मलबे से बाहर निकाल लिए गए। मलबे में मैन्युल ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए ऑगर मशीन के सभी हिस्सों को पहले बाहर निकालना जरूरी था।
एक साथ कई विकल्पों पर काम : वहीं, नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्प लिमिटेड के एमडी महमूद ने कहा कि हम एक साथ कई विकल्पों पर काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ फंसे हुए लगों को बचाना है।
उल्लेखनीय है कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसमें उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala