प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के विवादित बयान को लेकर गुरुवार को भारी गहमा गहमी के बीच भले ही पवन खेड़ा की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार तक रोक लगा दी हो लेकिन अभी मुद्दा शांत नहीं हुआ है। भाजपा अब इस पूरे मुद्दे पर सियासी माइलेज लेने में जुट गई है।
पवन खेड़ा का बयान ऐसे समय आया जब देश में पूर्वोत्तर के राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है और गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी मंच से कांग्रेस को इस नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दे दी। आज मेघालय विधानसभा चुनाव में प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी का आज 4 चुनावी कार्यक्रम में शामिल होने के साथ और शिलॉन्ग में रोड शो करना यह बताता है कि मेघालय में भी भाजपा मोदी के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए बयान को भाजपा कैसे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दा बनाने जा रही है, इसको केंद्रीय गृहमंत्री मंत्री अमित शाह के एक बयान से समझा जा सकता है। पवन खेड़ा के बयान पर पलटवार करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 में भी मोदी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया था, नतीजा आपने देखा कि कांग्रेस का विपक्ष का दर्जा भी जाता रहा। जिस प्रकार की भाषा आज इस्तेमाल हुई और जैसी प्रतिक्रिया आ रही, आप 2024 का नतीजा देखिएगा, कांग्रेस पार्टी दूरबीन लेकर भी ढूंढने से नहीं मिलेगी।
गुजरात चुनाव में मोदी का अपमान पड़ा था भारी-कांग्रेस नेताओं की ओर से अपने उपर किए गए निजी हमले को मुद्दा बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महारत हासिल है। पिछले साल गुजरात चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके उपर किए गए आपत्तिजनक बयानों को चुनावी मुद्दा बना दिया था। गुजरात चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग हर मंच से कांग्रेस नेताओं के मौत का सौदागर, नीच आदमी और नाली का कीड़ा जैसे बयानों को मुद्दा बनाया था। गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत इस बात का साफ इशारा है कि मोदी के अपमान का हमेशा से भाजपा को फायदा होता है।
राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अगर कांग्रेस नेताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए निजी हमलों और उसके चुनावी परिणाम को देखा जाए तो कांग्रेस को नुकसान ही हुआ। आज जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस का जमीनी आधार मजबूत हुआ है तब कांंग्रेस नेताओं को ऐसे बयानों से परहेज करना चाहिए। आज कांग्रेस को महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरना चाहिए। 2024 में अगर मोदी से कांग्रेस को मुकाबला करना है तो बिना मोदी को टारगेट किए हुए अपने संगठन को मजबूत करने पर कांग्रेस को फोकस करना चाहिए। कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन मेंं पार्टी के शीर्ष नेतृव्य को अपने नेताओं को ऐसे बयान से बचने की ताकीद देना चाहिए।
चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करने को लेकर दिए बयान की कांग्रेस में एक लंबी फेहरिश्त है। चुनाव के समय कांग्रेस नेताओं के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए विवादित बयान को भाजपा के साथ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बखूबी अपने पक्ष में करके चुनावी माइलेज हासिल कर लिया है।
आइए कांग्रेस नेताओं के ऐसे 10 बयानों की बात करते है जिनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार हर चुनाव में उठाकर भाजपा को सीधा फायदा पहुंचाते है।
1-मौत का सौदागर-कांग्रेस नेताओं की ओर से नरेंद्र मोदी को दिए बयान में सबसे पहला नाम सोनिया गांधी का आता है। कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते हुए सोनिया गांधी के साल 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजप के तत्कालीन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' कहा था। गुजरात चुनाव प्रचार में सोनिया गांधी के इस बयान को नरेंद्र मोदी ने गुजरात की अस्मिता के साथ जोड़ कर पूरे चुनाव के रूख को ही मोड़ दिया था और भाजपा की बड़ी जीत हासिल हुई थी। वहीं 2014 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय सोनिया गांधी ने पीएम मोदी का नाम लिए बिना कहा था कि आप ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे, जो जहर की खेती करते हैं।
2-नीच किस्म आदमी- 2012 के बाद साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच आदमी बताकर सीधा हमला किया। जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ा और भाजाप ने कांग्रेस को गरीब विरोधी और पिछड़ी जाति विरोधी करार देने के साथ नरेंद्र मोदी ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया। इसके साथ मणिशंकर अय्यर ने 2014 में मोदी को चायवाला बताकर उन पर तंज कसा था।
3-रावण से तुलना-2017 के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी की तुलना रावण से कर दी। खडगे के बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया और चुनाव में भाजपा को इसका सीधा फायदा मिला। खड़गे से पहले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मोदी की तुलना रावण से कर चुके है।
4-मोदी की भस्मासुर से तुलना- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमा में कांग्रेस के कम्युनिकेशन विभाग के हेड जयराम रमेश ने मोदी की तुलना भस्मासुर से की थी। जयराम रमेश ने कहा था कि मोदी लालकृष्ण आडवाणी को खा गए।
5-गंदी नाली का कीड़ा- कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने साल 2009 में नरेंद्र मोदी को गंदी नाली का कीड़ा बताया था। बीके हरिप्रसाद ने मोदी की तुलना गंदी नाली के कीड़े से करते हुए भाजपा को हराने की बात कही थी।
6-चौकीदार चोर हैं-कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2018 के चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि चौकीदार ही चोर है। भाजपा ने इस मुद्दे को चुनाव में उठाने के साथ कोर्ट तक ले गई थी।
7-जवानों के खून की दलाली-2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर विवादित बयान देते हुए जवानों के खून की दलाली जैसे शब्दों का उपयोग किया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी।
8-बंदर और मोदी रेबीज से पीड़ित- 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोडवाडिया ने नरेंद्र मोदी की तुलना बंदर से की थी। मोडवाडिया ने कहा था कि नरेंद्र मोदी रेबीज से पीड़ित है।
9-मोस्ट स्टुपिड पीएम-मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने वाले नेताओं में कांग्रेस नेता राशिद अल्वी का नाम भी जुड़ता है। राशिद अल्वी ने नरेंद्र मोदी को मोस्ट स्टुपिड पीएम बताया था।
10-तानाशाह- कांग्रेस नेता नोटबंदी पर विरोध प्रदर्शन के दौरान नरेंद्र मोदी तानाशाह बताया। इसके साथ आनंद शर्मा ने नरेंद्र मोदी को अस्वस्थ मानसिकता से पीड़ित व्यक्ति बताया था।