नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 वर्ष करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी है। अगर यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 और फिर विशेष विवाह अधिनियम एवं हिंदू विवाह अधिनियम 1955 जैसे निजी कानूनों में संशोधन करेगी।
मोदी राज में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा। इससे पहले NRI मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा कदम उठाया गया।
लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को सौंप की थी। टास्कफोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने सिफारिश की है।
टास्क फोर्स ने देशभर के जाने-माने स्कॉलर्स, कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया। वेबिनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपुर्द कर दिया गया।
युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी। यूनिसेफ के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।