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डेढ़ साल में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के पीएम के निर्देश को भाजपा ने सराहा, विपक्ष ने बताया जुमलेबाजी

हमें फॉलो करें डेढ़ साल में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के पीएम के निर्देश को भाजपा ने सराहा, विपक्ष ने बताया जुमलेबाजी
, मंगलवार, 14 जून 2022 (22:42 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों को मिशन मोड में काम करते हुए अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की भर्ती किए जाने के निर्देश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने मंगलवार को सराहना की जबकि विपक्षी दलों ने इसे जुमलेबाजी करार देते हुए याद दिलाया कि उन्होंने तो हर साल 2 करोड़ रोजगार दिए जाने का वादा किया था।
 
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक मोदी ने सभी सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह निर्देश जारी किया। इस घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक ट्वीट में कहा कि अगले डेढ़ वर्षों में विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों में 10 लाख लोगों की भर्ती के इस नए मिशन के लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के फैसले दर्शाते हैं कि उनकी सरकार का जोर युवाओं के लिए रोजगार निर्माण पर है और उसका ध्यान काम के बोझ के प्रभावी प्रबंधन पर है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगले डेढ़ साल में सभी सरकारी विभागों में मिशन मोड पर 10 लाख भर्तियां करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्देश युवाओं में नई उम्मीद और विश्वास लेकर आएगा।
 
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के उन युवाओं को सशक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, जो नए भारत के आधार हैं। शाह ने ट्वीट किया कि नए भारत का आधार इसकी युवा शक्ति है, उन्हें सशक्त बनाने के लिए मोदी लगातार काम कर रहे हैं। 1.5 साल में सभी सरकारी विभागों और मंत्रालयों में मिशन मोड में 10 लाख भर्तियां करने का मोदी का निर्देश युवाओं में नई उम्मीद और विश्वास लाएगा।

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस फैसले के मद्देनजर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह जुमलों की नहीं, बल्कि महाजुमलों की सरकार है। उन्होंने यह दावा भी किया कि जैसे हर साल 2 करोड़ नौकरियों का झांसा दिया गया, उसी तरह अब 10 लाख सरकारी नौकरियों की बारी है।
 
कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया कि जैसे 8 साल पहले युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियों का झांसा दिया था, वैसे ही अब 10 लाख सरकारी नौकरियों की बारी है। ये जुमलों की नहीं कि महा जुमलों की सरकार है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री जी नौकरियां बनाने में नहीं, नौकरियों पर न्यूज बनाने में एक्सपर्ट (विशेषज्ञ) हैं।
 
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया और साथ ही कहा कि 1 करोड़ से अधिक स्वीकृत परंतु रिक्त पदों को भरने के लिए भी सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए। पीएमओ के ट्वीट को टैग करते हुए गांधी ने लिखा कि बेरोजगार युवाओं की पीड़ा एवं मर्म समझने के लिए धन्यवाद प्रधानमंत्रीजी। नए रोजगार का सृजन करने के साथ साथ हमें 1 करोड़ से अधिक स्वीकृत परंतु रिक्त पदों को भरने हेतु सार्थक प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि हर वर्ष 2 करोड़ रोजगार देने का संकल्प पूरा करने के लिए और तेज गति से कदम बढ़ाने होंगे।
 
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने इस फैसले पर केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया और कहा कि हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा करने के बाद अब सरकार ने वर्ष 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी देने की बात की है। उन्होंने ट्वीट किया कि वादा था 2 करोड़ नौकरी हर साल देने का, 8 साल में देनी थीं 16 करोड़ नौकरियां। अब कह रहे हैं साल 2024 तक केवल 10 लाख नौकरी देंगे। 60 लाख पद तो केवल सरकारों में खाली पड़े हैं, 30 लाख पद केंद्र सरकार में खाली पड़े हैं। जुमलेबाजी कब तक?
 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एक ट्वीट में कहा कि करोड़ों की संख्या में रोजगार देने के अपने वादे में पूरी तरह विफल साबित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी यह घोषणा कर रिकॉर्ड बेरोजगारी के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने केंद्र द्वारा अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की भर्ती करने की घोषणा पर सवाल उठाते हुए पूछा कि यह कहीं नया चुनावी छलावा तो नहीं है? बसपा नेता ने एक ट्वीट में कहा कि केंद्र की गलत नीतियों एवं कार्यशैली के कारण गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी एवं रुपए का अवमूल्यन आदि अपने चरम पर है जिससे सभी त्रस्त एवं बेचैन हैं। तब केंद्र ने अब अगले डेढ़ वर्ष में अर्थात लोकसभा आमचुनाव से पहले 10 लाख भर्तियों की घोषणा की है। यह कहीं नया चुनावी छलावा तो नहीं है?
 
मायावती ने कहा कि साथ ही, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के इससे कई गुना अधिक सरकारी पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं जिनको विशेष अभियान चलाकर भरने की मांग बसपा संसद के अंद र एवं बाहर भी लगातार करती रही है। उनके बारे में सरकार चुप है जबकि यह समाज गरीबी एवं बेरोजगारी आदि से सर्वाधिक दुःखी व पीड़ित है।

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