पटना। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार ने अपने खिलाफ समुचित संख्या बल होने के बावजूद खुद को बलि का बकरा बनाए जाने से इनकार करते हुए शनिवार को कहा कि वह सिद्धांत की जीत और गरीबों तथा दबे कुचलों की आवाज के लिए लड़ रही हैं।
मीरा छह जुलाई को तीन दिवसीय दौरे पर बिहार आई थी और पड़ोसी राज्य झारखंड के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने आज यहां कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में कहा कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद धर्मनिरपेक्षता का विरोध करने वालों के खिलाफ हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि रांची के लिए उड़ान पकड़ने की जल्दी के कारण वह लालू प्रसाद से मुलाकात नहीं कर सकेंगी, जिनका आवास पटना हवाईअड्डे के रास्ते में ही पड़ता है।
आगामी 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन हासिल करने के वास्ते बिहार आई मीरा ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधी कोई टिप्पणी करने से परहेज किया। गौरलतब है कि नीतीश राजग उम्मीदवार और बिहार के पूर्व राज्यपाल राम नाथ कोविंद को व्यक्तिगत छवि के कारण उन्हें पहले ही समर्थन दिए जाने की घोषणा कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि उन्हें 17 दलों ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर चुना है जो कोई छोटी बात नहीं है। यह विपक्ष की एकता, सिद्धांत और विचारधारा के आधार पर है और हम उसकी जीत के लिए लड़ रहे हैं।
बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह सहित पार्टी के अन्य नेताओं के साथ पत्रकारों को संबोधित करते हुए मीरा ने कहा कि वह समाज के उन गरीब और दबे कुचलों के लिए लड़ रही हैं, जिनकी बात नहीं सुनी जा रही है। लालू प्रसाद और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के 12 ठिकानों पर कल सीबीआई की छापेमारी के बारे में पूछे गए कई प्रश्नों पर कुछ बोलने से बचते हुए मीरा ने लालू की तारीफ की।
उन्होंने कहा, लालू जी बहुत सारी चुनौतियों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के साथ खड़े हैं। वह धर्मनिरपेक्षता की मुखालफत करने वालों के खिलाफ हैं। दलित नेता बाबू जगजीवन राम की पुत्री मीरा ने बिहार से अपने लगाव और संबंध की चर्चा की, लेकिन नीतीश से जुड़े प्रश्नों को टालते हुए कहा, हमने सभी सांसदों और राष्ट्रपति चुनाव के मतदाताओं को अपने विवेक के अनुसार मतदान करने को लेकर पत्र लिखा है। (भाषा)