नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से स्वतंत्र बातचीत में पाकिस्तान ने एक बार फिर रोड़ा अटकाया और जाधव मामले के कॉउन्सलर को उनसे स्वतंत्र बातचीत नहीं करने दी गई।
जाधव पाकिस्तान की जेल में वर्ष 2016 से बंद हैं और पिछले एक साल में भारत ने पाकिस्तान से 12 से अधिक बार जाधव को अप्रभावित और बिना शर्त के कॉउन्सलर पहुंच प्रदान करने के लिए अनुरोध किया है।
कुलभूषण जाधव को दूसरी कॉउन्सलर पहुंच मिली थी। जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत की ओर से मौत की सजा पाने वाले भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को यह कॉउंसलर पहुंच दरअसल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की तरफ से जारी आदेश के मद्देनजर दी गई थी।
पाकिस्तान ने मई 2020 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया था।
भारत ने 13 जुलाई को जाधव से स्वतंत्र बातचीत करने की अपील की थी और कहा था कि बातचीत के दौरान जाधव बिना किसी दबाव के अपनी बात कह सके। बातचीत के बाद पाकिस्तान कॉउंसलर के पहुंचाने के लिए राजी हो गया था, जिसके बाद पाकिस्तान में भारतीय उच्च आयोग के दो अधिकारी जाधव से मिलने गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने धोखा देते हुए बातचीत को स्वतंत्र रहने नहीं दिया और बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की।
जाधव से मिलने गए अधिकारियों के साथ पाकिस्तान के अधिकारी भी मौजूद रहे जिसकी वजह से वे अपनी बात खुलकर नहीं रख सके। अधिकारियों के अनुसार जाधव इस दौरान दबाव में भी दिखाई दिए। केवल यही नहीं, अधिकारियों को इस दौरान जाधव के कानूनी प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के लिए लिखित सहमति प्राप्त करने से रोका गया।
इस मुलाकात के बाद अधिकारियों ने बयान जारी कर कहा कि पाकिस्तान की तरफ से कराई गई इस मुलाक़ात का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि उन्हें स्वतंत्र तौर पर बातचीत नहीं करने दी गई। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 2019 के निर्णय का न सिर्फ उल्लघंन है बल्कि पाकिस्तान अपने स्वयं के अध्यादेश के अनुसार कार्य करने में भी विफल रहा है।
इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस घटनाक्रम की पूरी जानकारी जाधव के परिवार को दे दी हैं और कहा है कि भारत जाधव को सुरक्षित वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस घटनाक्रम के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। (वार्ता)