Ropeway Protest Case : विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल वैष्णोदेवी में रोपवे के विरोध में आरंभ हुआ आंदोलन आज उस समय हिंसक हो गया जब आंदोलनकारियों ने कटड़ा में कई स्थानों पर पुलिस पर पत्थर फेंके। दरअसल वैष्णोदेवी मंदिर की ओर जाने वाले ट्रेक मार्ग पर प्रस्तावित रोपवे परियोजना के खिलाफ दुकानदारों और मजदूरों द्वारा निकाले गए मार्च के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी।
पुलिस का कहना था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है और स्थिति को शांत करने के लिए बातचीत की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा हाथापाई के बाद एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। जबकि अपुष्ट समाचारों के अनुसार, दर्जनभर लोग पथराव में जख्मी हुए हैं। घायलों में कोई श्रद्धालु शामिल नहीं है।
सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित तीर्थस्थान में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बेस कैंप कटड़ा शहर में मार्च और धरना दिया। प्रदर्शनकारियों ने जिन्होंने शुरू में 72 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया था, रविवार देर रात इसे 24 घंटे के लिए बढ़ा दिया।
दरअसल माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड द्वारा ताराकोट मार्ग से सांझी छत के बीच 12 किमी लंबे मार्ग पर 250 करोड़ रुपएकी लागत वाली यात्री रोपवे परियोजना को लागू करने की घोषणा के बाद दुकानदारों, टट्टू और पालकी मालिकों का विरोध चल रहा है। उनका कहना है कि माता वैष्णोदेवी रोपवे परियोजना लागू हो जाने से हम बेरोजगार हो जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने और परियोजना से प्रभावित होने वाले सभी परिवारों के समुचित पुनर्वास की मांग की।
माता वैष्णोदेवी रोपवे परियोजना के तहत वैष्णोदेवी दरबार तक जाने के लिए भक्तों को रोपवे की सुविधा दी जाएगी। इस फैसिलिटी की मदद से तकरीबन एक घंटे में भवन तक का सफर पूरा कर सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, ये प्रोजेक्ट 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है और करीबन 1000 लोग इस रोपवे से सफर कर पाएंगे।
माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड (एसएमवीडीएसबी) ने तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक और त्वरित बनाने के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित रोपवे परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया था। एसएमवीडीएसबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अंशुल गर्ग ने कहा था कि रोपवे परियोजना एक परिवर्तनकारी परियोजना होगी, विशेषकर उन तीर्थयात्रियों के लिए जिन्हें गुफा तक जाने के लिए 13 किमी की खड़ी चढ़ाई चढ़ना चुनौतीपूर्ण लगता है।
अंशुल गर्ग के बकौल, रोपवे से विशेष रूप से बुजुर्ग तीर्थयात्रियों और उन लोगों को लाभ होगा जो शारीरिक कमियों या हेलीकॉप्टर सेवाओं की सीमित क्षमता के कारण कठिन यात्रा पूरी नहीं कर सकते। इसके अलावा बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान स्थानीय हितधारकों की चिंताओं पर भी विचार किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि निर्णय को अंतिम रूप दिए जाने के बाद बोर्ड का लक्ष्य जल्द ही जमीनी कार्य शुरू करना है।
अधिकारियों के अनुसार, रोपवे ताराकोट मार्ग को मुख्य तीर्थ क्षेत्र भवन से जोड़ेगा। उन्होंने बताया कि पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है, जिससे श्रद्धालुओं को त्रिकुटा पहाड़ियों के शानदार दृश्य देखने को मिलेंगे, जिससे आध्यात्मिक और सुंदर अनुभव में वृद्धि होगी।
रोपवे से प्रतिदिन कई हजार श्रद्धालुओं के आवागमन की उम्मीद है, जिससे पारंपरिक पैदल पथ पर भीड़भाड़ काफी कम हो जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि घंटों लंबी यात्रा की तुलना में यह यात्रा कुछ ही मिनटों की रह जाएगी, पर स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं।