नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को नरेन्द्र मोदी सरकार पर आर्थिक प्रगति के संदर्भ में नाकाम रहने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री देश को बताएं कि देश का वित्तमंत्री कौन है। पार्टी ने कहा कि आर्थिक कुप्रबंधन की वजह यह है कि इस सरकार को समझ नहीं आया कि सामाजिक वैमनस्य और आर्थिक विकास साथ-साथ नहीं चल सकते।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश का वित्तमंत्री कौन है? प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट कुछ कहती है, वित्त मंत्रालय की वेबसाइट कुछ कहती है। स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार में कौन वित्तमंत्री है? गौरतलब है कि अरुण जेटली के अस्वस्थ होने की वजह से कुछ महीने पहले रेलमंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
तिवारी ने कहा कि रविवार को प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में कहा कि भारत की आर्थिक विकास की दर को दहाई के आंकड़े में ले जाने की जरूरत है और हम 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था होने वाले हैं। हम भी चाहते हैं ऐसा हो लेकिन हम प्रधानमंत्री से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हम पूछना चाहते हैं कि इस संशोधित जीडीपी से संबंधित डेटा जारी क्यों नहीं किए जा रहे हैं? तिवारी ने कहा कि जीडीपी की दर 2004 से 2009 तक औसत 9.2 फीसदी थी। 2009-14 में 7.5 फीसदी थी। इस सरकार में औसत जीडीपी 7.1 फीसदी रही है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय निजी निवेशकों द्वारा देश की अर्थव्यवस्था में निवेश करने के संदर्भ 2016-17 आर्थिक उदारीकरण के बाद का सबसे खराब साल रहा है। चालू खाता घाटा इतना ज्यादा हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय इकाइयां देश के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं।
तिवारी ने कहा कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब हम कहते हैं कि यह सूट-बूट की सरकार है तो ये आंकड़े उसकी पुष्टि करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था लेकिन इन 4 वर्षों में हर साल औसतन सिर्फ ढाई लाख नौकरियां पैदा की गईं। कांग्रेस नेता ने पूछा कि प्रधानमंत्रीजी से हम पूछना चाहते हैं कि क्या ये सही नहीं है कि 2014-18 के बीच भारतीय बैंकों ने 3,92,765 करोड़ रुपए के कर्ज बट्टे खाते में डाले?
तिवारी ने कहा कि इस आर्थिक कुप्रबंधन की सबसे बड़ी वजह यह है कि इस सरकार को यह समझ नहीं कि सामाजिक वैमनस्य और आर्थिक विकास साथ-साथ नहीं चल सकते। सामाजिक सद्भाव के बिना आर्थिक विकास संभव नहीं है।
विपक्षी एकता से जुड़े सवाल पर तिवारी ने कहा कि विपक्ष की एकता एक बुनियादी बात पर आधारित है कि भाजपा आइडिया ऑफ इंडिया को ठेस पहुंचा रही है। इसलिए वक्त की मांग है कि सभी प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रवादी ताकतें साथ आएं। दिल्ली के राजनीतिक घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि जो हो रहा है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। (भाषा)