मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कई घरों में लगाई आग, सामान्य जनजीवन प्रभावित
, शनिवार, 5 अगस्त 2023 (10:02 IST)
Manipur news : मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। राज्य के बिष्णुपुर में देर रात हुई हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई। कई घरों में आग लगा दी गई।
क्वाक्टा इलाके में तीनों लोगों को सोते समय गोलियां मारी गईं और फिर उन पर तलवार से हमला किया गया। पुलिस के अनुसार हमलावर चुराचांदपुर से आए थे। तीनों मृतक एक राहत शिविर में रह रहे थे, लेकिन स्थिति में सुधार होने के बाद शुक्रवार को ही क्वाक्टा में अपने घर लौटे थे।
हड़ताल से इंफाल घाटी में जनजीवन प्रभावित : मणिपुर में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा शनिवार को बुलाई गई 24 घंटे की आम हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और लगभग सभी इलाकों में बाजार व व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे।
हड़ताल के दौरान सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और केवल कुछ निजी वाहन ही चलते दिखे। हड़ताल के कारण स्कूल भी बंद रहे। हालांकि, पहाड़ी जिले हड़ताल से काफी हद तक अप्रभावित रहे।
समन्वय समिति ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र आहूत करने की मांग को लेकर यह हड़ताल की है।
1 दिन पहले ही लूटा था शस्त्रागार : 1 दिन पहले ही भीड़ ने बिष्णुपुर जिले के नारानसीना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन (IRB) के मुख्यालय में घुसकर एके और घातक श्रंखला की राइफल तथा विभिन्न बंदूक की 19 हजार से अधिक गोलियां लूट ली थी।
भीड़ ने विभिन्न बंदूक की 19,000 राउंड से अधिक गोलियां, एके शृंखला की एक असॉल्ट राइफल, तीन घातक राइफल, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफल, पांच एमपी-4 बंदूक, 16.9 एमएम की पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हथगोले सहित अन्य हथियार लूट लिए।
21 अगस्त से विधानसभा सत्र : इस बीच, मणिपुर मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र आहूत करने की सिफारिश की। पिछला विधानसभा सत्र मार्च में हुआ था।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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