मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी बवंडर जारी है। इस बीच शिवसेना से बागी हुए एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की पेशकश को ठुकरा दिया है। एकनाथ ने ट्वीट में कहा कि अब फैसला लेने का समय आ गया है।
उन्होंने ट्वीट में कहा कि महाअघाड़ी सरकार के दौरान शिवसेना का कोई भला नहीं हुआ है। इससे पहले भावुक उद्धव ठाकरे ने वेबकास्ट में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश की और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह करने वाले बागी विधायकों को सुलह का प्रस्ताव किया।
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१. गेल्या अडीच वर्षात म.वि.आ. सरकारचा फायदा फक्त घटक पक्षांना झाला,आणि शिवसैनिक भरडला गेला.
२. घटक पक्ष मजबूत होत असताना शिवसैनिकांचे - शिवसेनेचे मात्र पद्धतशीर खच्चीकरण होत आहे. #HindutvaForever
— Eknath Shinde - एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 22, 2022
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राज्य के राजनीतिक संकट को नया मोड़ देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई शिवसैनिक उनकी जगह लेता है तो उन्हें खुशी होगी। खबरों के मुताबिक शरद पवार ने भी उद्धव को विद्रोह को खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फॉमूर्ला सुझाया। शिंदे ने 46 विधायकों के अपने पक्ष में होने का दावा किया है।
क्या कहा ठाकरे ने : ठाकरे ने 18 मिनट लंबे वेबकास्ट में विद्रोही नेताओं व आम शिवसैनिकों से भावुक अपील की। उनके इस वेबकास्ट में करीब 30 मिनट की देरी हुई। उन्होंने अनुभवहीन होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि पिछले साल के अंत में रीढ़ की सर्जरी के कारण वह लोगों से ज्यादा नहीं मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर शिवसैनिकों को लगता है कि वे पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो वह शिवसेना के अध्यक्ष का पद भी छोड़ने के लिए तैयार हैं।
ठाकरे ने कहा कि सूरत और अन्य जगहों से बयान क्यों दे रहे हैं? मेरे सामने आकर मुझसे कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। मैं अपना इस्तीफा तैयार रखूंगा और आप आकर उसे राजभवन ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर किसी शिवसैनिक को अपना उत्तराधिकारी देखकर उन्हें खुशी होगी।
ठाकरे ने नवंबर 2019 की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के सुझाव पर अपनी अनुभवहीनता के बावजूद मुख्यमंत्री का पद संभाला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राकांपा के कई दशकों तक शिवसेना के राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद महा गठबंधन अस्तित्व में आया।
उन्होंने कहा कि अगर मेरे अपने लोग मुझे नहीं चाहते, तो मैं सत्ता से चिपके रहना नहीं चाहता। मैं अपने त्याग पत्र के साथ तैयार हूं, अगर कोई बागी सामने आकर मुझसे कहे कि वह मुझे मुख्यमंत्री के रूप में नहीं चाहता। अगर शिवसैनिक मुझे ऐसा कहते हैं तो मैं भी शिवसेना अध्यक्ष पद भी छोड़ने के लिए तैयार हूं। मैं चुनौतियों का डटकर सामना करता हूं और कभी भी पीठ नहीं दिखाता।
ठाकरे ने कहा कि वह अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भागते और उन्होंने हिंदुत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, "मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो सौंपा गया कोई भी कार्य पूरे दृढ़ संकल्प के साथ करता है। इन दिनों चर्चा हो रही है कि शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की पार्टी नहीं रही और हिंदुत्व छोड़ रही है।"
उन्होंने कहा कि विद्रोही हिन्दुत्व के मुद्दे को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं और विचारधारा के प्रति शिवसेना की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व शिवसेना की सांस है। मैं विधानसभा में हिंदुत्व के बारे में बोलने वाला पहला मुख्यमंत्री था।
ठाकरे ने सरकार चलाने में अनुभवहीनता के बावजूद उनका साथ देने के लिए कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, पवार और राज्य की नौकरशाही को धन्यवाद दिया एवं कहा कि उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान प्रशासनिक कदमों के मामले में शीर्ष पांच मुख्यमंत्रियों में चुना गया था।