तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि का मंगलवार को 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके प्रशंसक उन्हें कलाईनार (तमिल कला का विद्वान) कहकर बुलाते थे। इसकी वजह भी थी। वे तमिल फिल्मों में नाटककार और पटकथा लेखक भी थे। करुणानिधि ने अपनी राजनीतिक पारी सिर्फ 14 साल की उम्र में हिंदी विरोध के साथ शुरू की।
मानवर निशान' नाम का तमिल समाचार पत्र निकाला। सिर्फ 20 साल की उम्र में ज्यूपिटर पिक्चर्स में पटकथा लेखक के रूप करियर शुरू किया और पहली ही फिल्म 'राजकुमारी' से लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित किए।
करुणानिधि के नाटकों और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने के दौरान ही जस्टिस पार्टी के पेरियार इरोड वेंकटप्पा रामासामी और सीएन अन्नादुरई की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने करुणानिधि को पार्टी की पत्रिका 'कुदियारासु' का संपादक बना दिया।
हालांकि, 1947 में पेरियार और अन्नादुरई में मतभेद हुए। 1949 में अन्नादुरई ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) का गठन किया। करुणानिधि अन्नादुरई के साथ रहे। उन्होंने 'मुरासोली' नाम का अखबार भी निकालना शुरू किया, जो बाद में द्रमुक का मुखपत्र बना।
किंग मेकर करुणानिधि का एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे तोड़ना तो क्या उसकी बराबरी भी बिरले ही नेता कर पाएं। ये उनकी लोकप्रियता ही थी कि 80 साल के राजनैतिक करियर में उन्होंने एक भी चुनाव नहीं हारे। यही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी पकड़ रही और लगभग 3 मौकों पर प्रधानमंत्री बनवाने में भी उनकी भूमिका रही।