नई दिल्ली। देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी में 5.9 मिलियन टन लिथियम रिर्जव (Lithium) मिला है। जिस तरह से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, उस दौर में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
लिथियम का सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल मोबाइल फोन्स, लेपटॉप्स, डिजिटल कैमरा और खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की रिचार्जेबल बैटरियां बनाने में होता हैं। भविष्य में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का दौर आने वाला है। ऐसे में देश का सबसे बड़ा लिथियम भंडार मिलने से इस राह में काम और तेजी से किया जा सकता है।
रियासी की कलेक्टर बीला रकवाल ने मीडिया से चर्चा में कहा कि 5.9 मिलियन टन लिथियम पाया गया है। लिथियम का इस्तेमाल लिथियम बैट्री में होता है। इसका देश में मिलना हमारे लिए खुशी की बात है। चुब्बी इलाके में भी बहुत बड़ा लिथियम का ब्लॉक है।
दरअसल, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के द्वारा की गई यह एक महत्वपूर्ण खोज है। इससे देश की लिथियम इंपोर्ट पर निर्भरता काफी पद तक कम हो सकती है।
आयात पर कम होगी निर्भरता : उल्लेखनीय है कि भारत ने 2020-21 में 173 करोड़ रुपए के लिथियम का आयात किया था। इस अवधि में हांगकांग से 26 हजार 641 टन, चीन से 22 हजार 641 टन, इंडोनेशिया से 6 हजार 689 टन और जापान से 5 हजार 90 टन लिथियम आयात किया गया था। इन भंडारों के मिलने के बाद भारत की आयात पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।
बैटरी के अलावा मोबाइल फोन या फिर सोलर पैनल के लिए लिथियम की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही पेट्रोल डीजल की निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल को लगातार प्रमोट किया जा रहा है। इन वाहनों की बैटरी में लिथियम का ही प्रयोग किया जाता है।
सड़कों पर प्रदूषण भी घटेगा : भारत सरकार का भी मानना है कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या जितनी कम होगी, प्रदूषण का स्तर उतना ही कम होगा। इसी को ध्यान में रखते वित्तमंत्री सीतारमण ने बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम ऑयन बैटरियों पर सीमा शुल्क को घटाकर 13 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया था।