राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। अब लोगों में जिज्ञासा है कि आखिर कैसा बनेगा राम मंदिर। आइए, जानते हैं विस्तार से कैसे बनेगा राम मंदिर...
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। जिससे अब अयोध्या में राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ हो गया है। न्यायालय के आदेशानुसार केंद्र सरकार 3 महीने में मंदिर के लिए योजना तैयार करेगी। इसके लिए बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन किया जाएगा।
यह मंदिर 2 मंजिला होगा। इस मंदिर की लंबाई 270 मीटर, चौड़ाई 140 मीटर और ऊंचाई 125 मीटर होगी। मंदिर में जाने के लिए 5 दरवाजे होंगे। इसमें में सिंह द्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप, कोली, गर्भ गृह और परिक्रमा मार्ग होगा। यह नागर शैली में बना अष्टकोणीय मंदिर होगा। इसमें भगवान राम की मूर्ति और राम दरबार होगा। मुख्य मंदिर के आगे-पीछे सीता, लक्ष्मण, भरत और भगवान गणेश के मंदिर होंगे। यह अक्षरधाम मंदिर की शैली में बनेगा। मंदिर परिसर में संत निवास, शोध केंद्र, कर्मचारियों के आवास, भोजनालय इत्यादि होंगे।
मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर के फर्श में संगमरमर लगाया जाएगा। यह मंदिर 221 पिलर पर खड़ा होगा। इसमें आवागमन के लिए 24 द्वार बनाए जाएंगे। मंदिर के प्रत्येक खंभे पर 12 मूर्तियां उकेरी गई हैं। यह मूर्तियां देवी-देविताओं की हैं। मंदिर के निर्माण में लगभग ढाई से 3 साल का समय लगेगा। भारतीय शिल्प शास्त्र के हिसाब से इस मंदिर का निर्माण कराने का फैसला लिया गया है। इसकी परिक्रमा गोलाई में होगी। इसका शिखर भी अष्टकोणीय होगा। मंदिर बनाने के लिए पत्थरों की तराशने का काम करीब 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीनों के अंदर एक ट्रस्ट बनाए। एक साल के भीतर राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। जहां अभी रामलला विराजमान हैं। उसी चबूतरे पर मंदिर का गर्भगृह का निर्माण होगा। वर्ष 1989 में राम शिलाओं के पूजन का अभियान विहिप की ओर से चलाया गया। देशभर में गांव-गांव से पूजित शिला और सवा रुपए एकत्र किए गए।
प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से पत्थरों को मंगाने और तराशने का कार्य सितंबर 1990 में शुरू किया गया था, जो कि अब तक लगभग 60 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।