नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सामूहिक बलात्कार के बाद मार दी गई बच्ची की पहचान जाहिर करने के मामले में शुक्रवार को कई मीडिया हाउसों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि आगे से उसकी पहचान जाहिर न की जाए।
मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और बहुत दुखद है कि पीड़िता की तस्वीरें भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आ रही हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए मीडिया हाउसों से जवाब मांगा है कि इस मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? पीठ ने कहा कि पूरा पूरा मीडिया ट्रॉयल चल रहा है।
अदालत ने मीडिया हाउसों को निर्देश दिया है कि वह आगे से बच्ची का नाम, उसकी तस्वीर, स्कूल का नाम या उसकी पहचान जाहिर करने वाली किसी भी सूचना को प्रकाशित प्रसारित करने से बचें।
अदालत ने कहा कि खबरों ने पीड़िता की निजता का अपमान और उल्लंघन किया है जिसकी किसी भी हालात में अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि दंड संहिता और पॉक्सो कानून में ऐसे प्रावधान हैं, जो ऐसी सूचनाओं के प्रकाशन/प्रसारण को निषिद्ध करते हैं, जो बच्चों सहित यौन अपराध से पीड़ित व्यक्ति की प्रतिष्ठता और निजता को प्रभावित करता हो।
>कश्मीर के कठुआ से यह बच्ची अपने घर के पास से 10 जनवरी को लापता हो गई थी। 1 सप्ताह बाद उसका शव उसी इलाके से मिला। मामले की जांच कर रही राज्य पुलिस की अपराध शाखा ने मामले में इसी सप्ताह 7 आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोपपत्र तथा एक किशोर के खिलाफ पृथक आरोपपत्र दायर किया है।
आरोपपत्र में रूह कंपा देने वाला घटनाक्रम बताया गया है। उसमें बताया गया है कि कैसे बच्ची का अपहरण कर उसे नशा दिया गया और हत्या करने से पहले एक धार्मिक स्थल पर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। (भाषा)