Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कर्नाटक में प्रोटेम स्पीकर बोपैया की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस

हमें फॉलो करें कर्नाटक में प्रोटेम स्पीकर बोपैया की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस
, शनिवार, 19 मई 2018 (09:28 IST)
नई दिल्ली। कर्नाटक की सियासत में विवादों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब कांग्रेस-जद (एस) ने केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर शनिवार को सुबह 10.30 बजे कोर्ट नंबर-6 में सुनवाई करेगा।


याचिका में प्रोटेम स्पीकर के अधिकार सीमित करने की मांग भी की गई है। याचिका में कहा गया है कि याची को फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। दरअसल, दूसरे पक्ष ने एक जूनियर विधायक को प्रोटेम स्पीकर बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट शक्ति परीक्षण सही और पारदर्शी तरीके से कराने का तत्काल निर्देश दे। सुप्रीम कोर्ट के पहले के दो फैसलों में केजी बोपैया के फैसले रद्द किए गए हैं।

साथ ही मांग की गई है कि प्रोटेम स्पीकर विधायकों को शपथ दिलाने और फ्लोर टेस्ट कराने के अलावा किसी दूसरे अधिकार का इस्तेमाल न करें। उधर कर्नाटक के राज्यपाल ने विधानसभा में शनिवार को शक्ति परीक्षण कराने के लिए भाजपा के वरिष्ठ विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। विराजपेट से विधायक बोपैया सदन के स्पीकर रह चुके हैं।

कांग्रेस-जद (एस) राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने खामियां बताकर याचिका लौटा दी। मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि खामियों को दुरुस्त किया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि परंपरा के अनुसार सबसे अनुभवी विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। इस कसौटी पर उसके विधायक आरवी देशपांडे खरे उतरते हैं।

याचिका में कहा गया है कि परंपरा के मुताबिक, पार्टीलाइन से ऊपर उठकर वरिष्ठतम विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता रहा है। राज्यपाल का बोपैया को नियुक्त करने का फैसला संसदीय परंपरा के खिलाफ है। प्रोटेम स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाकर स्पीकर का चुनाव कराता है। इनकी नियुक्ति उस फ्लोर टेस्ट को प्रभावित करने के लिए की गई है, जिसका निर्देश खुद सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।

याचिका में आरोप लगाया है कि येदियुरप्पा केंद्र के साथ मिलकर राज्यपाल के जरिए फ्लोर टेस्ट को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार भी 2008 की ही तरह फ्लोर टेस्ट की तैयारी की जा रही है, जिसे ऑपरेशन लोटस कहते हैं। याचिका में कहा गया है कि अगर पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी नहीं हुई तो कुछ भी गलत होने पर कोर्ट में कुछ साबित नहीं हो पाएगा। समर्थन और विरोध करने वाले विधायकों को अलग-अलग बैठाया जाए। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इराक में प्रभावशाली शिया मौलवी सद्र ने संसदीय चुनाव जीता