जब कारगिल में हुई गुत्थमगुत्था लड़ाई और मारे गए 6 पाक सैनिक
नायब सूबेदार मेहर सिंह ने बताए युद्ध के अपने अनुभव
लखनऊ। कारगिल युद्ध में राष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र से सम्मानित 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स के नायब सूबेदार (तत्कालीन राइफलमैन) मेहर सिंह ने बताया कि प्वाइंट 5140 पर कब्जा करते समय गुत्थमगुत्था की लड़ाई में भी पाकिस्तानी आर्मी के 6 सैनिकों को मार गिराया गया था।
नायब सूबेदार (तत्कालीन राईफलमैन) मेहर सिंह ने बुधवार को यहां कारगिल युद्ध जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से भी जाना जाता है, अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि 1999 में उनकी यूनिट सोपोर (कश्मीर घाटी) में कार्यरत थी। अचानक कारगिल में हालात खराब होने के कारण ब्रिगेड कंमाडर ने यूनिट को ऑपरेशन विजय में भाग लेने का हुक्म दिया। इस ऑपरेशन के लिए वे 6 जून 1999 को सोपोर से सुबह चलना आरंभ किया और शाम को गुमरी नामक जगह पर पहुंच गए।
उन्होंने बताया कि यहां पर बहुत ही कम समय में हमारी यूनिट ने अक्लाईमैटाइजेशन किया और 12 जून 1999 को कमांडिंग ऑफिसर का सैनिक सम्मेलन हुआ। उसमें कहा गया कि हमारी यूनिट को तोलोलिंग के आगे हम्प नम्बर 8, 9, 10 और रॉकी नॉब तथा प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करना है।
12 जून 1999 को हमारी यूनिट ने वहां से चलना शुरू किया और शाम को ही बटालियन टैक हैडक्वाटर (द्रास) पहुंच गई। यहां पर हमारे कैंम्प के ऊपर पाकिस्तान की आर्मी का भारी आर्टी फायर आना शुरू हो गया, जहां जवानों ने पत्थरों की आड़ लेते हुए पूरी रात काटी।
नायब सूबेदार ने बताया कि हमने 13 जून 1999 को सुबह सूर्य उदय होने से पहले तोलोलिंग पहाड़ी की ओर चलना आरंभ कर दिया। रास्ते में पाकिस्तान की आर्मी का भारी आर्टी फायर व स्माल आर्म्स फायर आने लगा, लेकिन हम दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते रहे। हम उसी शाम को तोलोलिंग पहाड़ी के ऊपर पहुंच गए।
उन्होंने बताया कि यहां कंपनी और और बी कम्पनी को हम्प नंबर 8, 9, 10 तथा रॉकी नॅाब के ऊपर कब्जा करने का टास्क मिला था। जब टास्क पूरा कर दिया तो हमारे कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी ने हमारे कंपनी कंमाडर कैप्टन विक्रम बत्रा को बताया कि आपकी कंपनी प्वाइंट 5140 पर कब्जा करेगी।
वीर चक्र से सम्मानित मेहर सिंह ने बताया कि कैप्टन विक्रम बत्रा ने पूरी कंपनी को इकट्ठा किया और कहा कि डेल्टा कम्पनी के बहादुर जवानों आज यह मौका आ गया है, जिसका हमें इंतजार था। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए हमें खून भी बहाना पड़े तो भी हमारी डेल्टा कम्पनी प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करेगी।
19 जून 1999 सुबह 4 बजे हमने तोलोलिंग पहाड़ी से चढ़ना शुरू किया और तकरीबन सुबह 7 बजे हम्प नंबर 8 के ऊपर पहुंच गए। यहां पर बी कम्पनी पहले से ही कब्जा करके बैठी थी। इसमें 11 प्लाटून, लीडिंग प्लाटून का काम कर रही थीं और इसका नंबर एक सेक्शन लीडिंग सेक्शन का काम कर रहा था।
नायब सूबेदार ने बताया कि इसकी लीडिंग सेक्शन का नंबर एक स्काउट का काम मैं कर रहा था। हमने हंप नंबर 8 पर पूरा दिन निकाला और अंधेरा होते ही प्वाइंट 5140 के लिए मार्च किया। अनजानी जगह और जगह-जगह बर्फीली और पथरीली जमीन थी तथा ऑक्सीजन की भी कमी थी। पाकिस्तान की आर्मी का आर्टी फायर और स्माल आर्म्स फायर हमारे ऊपर कहर बरफा रहा था, लेकिन हम पूरे जोश और निडर होकर ऊपर चढ़ते रहे।
उन्होंने बताया कि पूरी रात चलने के पश्चात सुबह 4 बजे पूर्व दिशा की ओर से मैंने क्रोलिंग करते हुए दुश्मन के बंकर में ग्रेनेड फेंका और कारगर फायर किया। हमारी कंपनी ने दुर्गे मां की जयकार लगाते हुए दुश्मन के साथ गुत्थमगुत्था की लड़ाई की तथा पाकिस्तानी आर्मी के 6 सैनिकों को मार गिराया। इस प्रकार हमने प्वाइंट 5140 को अपने कब्जे में लिया तथा कैप्टन विक्रम बत्रा साहब ने लेफ्टिनेंट कर्नल जोशी को सक्सेस सिग्नल दिया कि 'ये दिल मांगे मोर'।