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Kanh River Indore: 10 साल में 1200 करोड़ फूंके, अब 417 करोड़ होंगे खर्च, फिर भी नहीं बदल रही कान्‍ह नदी की सूरत

उज्‍जैन की शिप्रा को दूषित कर रही इंदौर की कान्‍ह नदी, अब सिंहस्‍थ के पहले लेंगे सुध

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नवीन रांगियाल

Kanh River Indore: कभी नाला टेपिंग के नाम पर तो कभी सौंदर्यीकरण के नाम पर। कभी नौका विहार के सब्‍जबाग तो कभी रिवर साइड कॉरिडोर का सपना। पिछले करीब 10 से 15 साल से ज्‍यादा समय तक इंदौर की कान्‍ह और सरस्‍वती नदी को लेकर इंदौर प्रशासन यही सब करता आ रहा है। पिछले एक दशक में एक हजार करोड़ से ज्‍यादा का धन फूंक दिया गया। लेकिन कान्‍ह नदी (खान नदी) की न सूरत बदली और न ही सीरत। वही गंदगी और वही बदहाली। बावजूद इसके कि यह पूरा प्रोजेक्‍ट नमामि गंगे के तहत आता है।

अब उज्‍जैन में सिंहस्‍थ आयोजन से पहले प्रशासन एक बार फिर से इंदौर की कान्‍ह नदी को लेकर सक्रिय हुआ है। अब इंदौर की कान्‍ह की वजह से उज्‍जैन की शिप्रा दुषित न हो इसलिए फिर से 3 जगहों पर एसटीपी प्लांट बनाए जाने की योजना बनाई गई है। महापौर परिषद की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई है। इन प्‍लांट के लिए 417 करोड़ की लागत आएगी। जबकि प्रशासन कान्‍ह और सरस्‍वती पर पहले ही 10 से 15 साल में करीब 1200 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर चुका है। 
  • अब 417 करोड़ की लागत से इंदौर में 3 जगहों पर बनेंगे एसटीपी प्लांट
  • कान्‍ह के अस्‍तित्‍व के लिए 10 साल में खर्च हो चुके हैं 1200 करोड़
  • आखिर कब बदलेगी इंदौर की कान्‍ह नदी की सूरत और सीरत
  • उज्‍जैन की शिप्रा को दूषित कर रही इंदौर की कान्‍ह नदी
  • 21 किलोमीटर लंबी है इंदौर की कान्‍ह नदी
  • 12 किलोमीटर सरस्‍वती नदी की लंबाई है
  • अभी 10 एसटीपी कर रहे हैं काम
इन 3 जगहों पर बनेंगे STP प्लांट : बता दें कि इंदौर की कान्ह नदी शिप्रा नदी में मिलती है। कान्ह नदी पूरी तरह से दूषित हो चुकी है। स्‍थिति यह है कि अब कान्‍ह नदी की वजह से उज्‍जैन की शिप्रा नदी दुषित होने का डर है। जिसके चलते इंदौर में 417 करोड़ की लागत से 3 जगहों पर एसटीपी प्लांट बनाए जाने की योजना बनाई गई है। हाल ही में महापौर परिषद की बैठक में इसकी मंजूरी दी गई। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत केंद्र सरकार ने यह राशि इंदौर नगर निगम को दी है। बता दें कि इसके पीछे उज्‍जैन में सिंहस्‍थ का आयोजन भी है। 3 साल 2028 में उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ के लिए भी इंदौर में इस योजना पर काम हो रहा है।

एमपी का सबसे बड़ा STP प्लांट इंदौर में : पूर्व में कान्ह नदी पर 6 एसटीपी प्लांट बनाए गए है, जबकि कबीटखेड़ी में 200 करोड़ की लागत से 10 साल पहले प्रदेश का सबसे बड़ा एसटीपी प्लांट बन चुका है। नए प्लांट बेगमखेड़ी, लक्ष्मीबाई तिराहा और कबीटखेड़ी में बनाए जाएंगे। कबीटखेड़ी का प्लांट 120 एमएलडी क्षमता को होगा। पहले यहां 300 एमएलडी क्षमता का प्लांट संचालित हो रहा है। इसके अलावा सांवेर के पास भी नए एसटीपी प्‍लांट प्रस्तावित हैं।

एक दशक में 1200 करोड़ किए खर्च : पिछले दिनों की बात करें तो जिला प्रशासन और इंदौर नगर निगम करीब एक दशक से कान्‍ह नदी के सौंदर्यीकरण की तमाम योजनाओं पर काम कर रहे हैं। कान्‍ह के शुद्धिकरण और सौंदर्यीकरण के नाम पर एक दशक में अब तक 1200 करोड़ रुपए की धन राशि खर्च की जा चुकी है। कभी कान्ह नदी में नौकाविहार का सपना दिखाया गया तो कभी रिवर साइड कॉरिडोर की योजना बनाई गई। कई बार नाला टेपिंग और फिर सौंदर्यीकरण की योजना के नाम पर लाखों खर्च किए गए। लेकिन इतने सालों के बाद भी कान्‍ह नदी की न तो सूरत बदली है और न ही सीरत। जबकि अब तक यह केंद्र सरकार के नमामि गंगे जैसे अति महत्‍वकांक्षी प्रोजेक्‍ट के तहत आ गया है।

फिर खर्च होंगे 417 करोड़ : अब दूषित कान्‍ह नदी शिप्रा को दूषित न कर दे इस डर से इंदौर में 3 जगहों पर एसटीपी प्लांट यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्‍थापित करने की तैयारी है। इन एसटीपी प्लांट को तैयार करने में 417 करोड़ की लागत आएगी।

क्‍या मौजूदा STP काम कर रहे हैं : कबीटखेड़ी स्थित 2 एसटीपी कई साल पहले एक्सपायर हो चुके हैं। इनकी क्षमता 90 एमएलडी है। बताया जा रहा है कि एसटीपी सीवरेज को शुद्ध करने के बजाए गंदगी को नदी में उड़ेल रहे हैं। इंदौर में वर्तमान में 11 एसटीपी स्थापित हैं। इनकी क्षमता 412.5 एमएलडी बताई जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि मैंटेनेंस के अभाव में कुछ एसटीपी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं। कबीटखेड़ी पर कुल 3 एसटीपी लगे हैं। शहर में रोजाना 390 एमएलडी सीवेज निकलता है और शहर में लगे एसटीपी की कुल क्षमता 412.5 एमएलडी है।

ऐसे दूषित होगी उज्‍जैन की शिप्रा : बता दें कि इंदौर का सीवरेज कान्ह नदी में मिल रहा है। यही सीवरेज कान्ह नदी से होता हुआ त्रिवेणी तट पर शिप्रा में मिल जाता है, जिससे शिप्रा के भी दूषित होने की आशंका बनी रहती है। इसी के शुद्धिकरण के लिए पहले करोड़ों रुपए खर्च कर एसटीपी प्‍लांट स्थापित तो कर दिए गए, लेकिन न तो उनके रखरखाव को कोई देखने वाला है और न ही यह सुनिश्‍चित किया जाता है कि ये सभी एसटीपी प्‍लांट ठीक से काम कर भी रहे हैं या नहीं। ऐसे में 2028 में महाकाल की नगरी उज्‍जैन में सिंहस्‍थ आयोजित होगा, इस लिहाज से भी इंदौर की कान्‍ह नदी और इसे शुद्ध करने वाले प्‍लांट की खबर लेना बेहद जरूरी हो जाता है।

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