Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बिहार के जातिगत सर्वेक्षण मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगी JDU

हमें फॉलो करें Nitish Kumar
नई दिल्ली , शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023 (22:49 IST)
JDU's statement regarding caste survey : जनता दल (यूनाइटेड) ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बिहार में हुए 'ऐतिहासिक' जातिगत सर्वेक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना की। जद(यू) के मुताबिक उसकी इस कवायद के बाद ही राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के सर्वेक्षण की मांग राजनीति के केंद्र में आई और एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति की शुरुआत हुई।
 
जद(यू) की राष्ट्रीय परिषद में इस मुद्दे पर पारित एक प्रस्ताव के बारे में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जातिगत गणना एक ऐसा मुद्दा है जो भारत के लोगों की भावनाओं को आवाज देता है और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी अब इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।
 
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि जाति आधारित गणना के मुद्दे को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एजेंडे के तहत राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, हम इस मुद्दे को बिहार के बाहर भी उठाएंगे।
 
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जद(यू) अध्यक्ष चुने गए कुमार झारखंड से 'जन जागरण' अभियान शुरू करेंगे। पार्टी ने अपने प्रस्ताव में बिहार में कराए गए सामाजिक-आर्थिक जातिगत सर्वेक्षण के लिए नीतीश कुमार को बधाई दी और दावा किया कि इस 'ऐतिहासिक पहल' का पूरे देश में एकजुट होकर स्वागत किया जा रहा है।
 
पार्टी ने कहा, कई राज्यों ने जाति आधारित गणना कराने की योजना की घोषणा की है। बिहार की तर्ज पर इस तरह की गणना कराने की मांग देशभर में हो रही है। इससे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक मौन क्रांति आई है। त्यागी ने कहा कि जाति आधारित गणना से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जातियों सहित सभी सामाजिक समूहों को लाभ होगा।
 
प्रस्ताव में कहा गया कि इस नई आरक्षण व्यवस्था के तहत अनुसूचित जाति के लिए कोटा सीमा 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए एक से बढ़ाकर दो प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 12 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है।
 
प्रस्ताव में कहा गया है, इसके साथ ही आर्थिक रूप से गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को शामिल करने के बाद अब आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत हो गई है। इसमें कहा गया है कि बिहार सरकार ने मांग की है कि केंद्र राज्य में लागू इस नई आरक्षण व्यवस्था को संविधान के अनुच्छेद 31 (बी) की नौवीं अनुसूची में शामिल करे।
 
प्रस्ताव में कहा गया है, जद(यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक इस मांग का समर्थन करती है ताकि इसकी न्यायिक समीक्षा हो सके। इसमें राज्य की 'विशेष दर्जा' की मांग का भी उल्लेख किया गया है।
 
पार्टी ने प्रस्ताव में कहा कि जाति आधारित गणना का विचार और समावेशी द्वार खोलकर बिहार ने विकास की दिशा में संतुलन के साथ आगे बढ़ने का प्रयास किया है। उसने कहा कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो यह बहुत जल्द विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
 
त्यागी ने कहा, मैं उस वक्त संसद में था जब वीपी सिंह जी ने (पिछड़े वर्गों के लिए) आरक्षण का प्रस्ताव रखा था। लालकृष्ण आडवाणी और राजीव गांधी के भाषण उपलब्ध हैं कि कैसे उन्होंने जाति आधारित मंडल को खारिज कर दिया था।
 
उन्होंने कहा, एक 'कमंडल' लेकर बाहर चला गया, दूसरे ने सरकार गिरा दी। यह कांग्रेस और भाजपा दोनों की 'ऐतिहासिक मजबूरी' है कि उन्हें वीपी सिंह और कर्पूरी ठाकुर जैसे समाजवादियों द्वारा निर्धारित एजेंडे के अनुसार चलना होगा। उन्होंने कहा कि तीन कैबिनेट मंत्रियों रामदास अठावले, अनुप्रिया पटेल और पशुपति नाथ पारस हैं जो जातिगत गणना की मांग कर रहे हैं।
 
त्यागी ने कहा, यह हमारी विचारधारा की जीत है। उन्होंने कहा, हम सुनिश्चित करेंगे कि जाति आधारित गणना ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन का मुख्य मुद्दा हो और यह हमारे सत्ता में आने के बाद लागू हो। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Weather Updates : उत्तर भारत में कोहरे का कहर, कश्मीर और हिमाचल के कई हिस्‍सों में पारा शून्य से नीचे