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जावड़ेकर बोले, भारत 2022 तक एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से मुक्त होने के लिए प्रयासरत

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, मंगलवार, 8 जून 2021 (22:42 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार भारत यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठा रहा है कि देश 2022 तक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से मुक्त हो सके।

 
उन्होंने 'प्लास्टिक हैकाथॉन 2021' अभियान की शुरुआत करते हुए यह टिप्पणी की। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (एसयूपी) को लेकर दो महीने तक चलने वाले जागरूकता अभियान की शुरुआत करते हुए जावड़ेकर ने एक ऑडियो संदेश में कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने देश से ऐसे प्लास्टिक का उपयोग खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। हमने उस दिशा में कई कदम उठाए हैं। प्लास्टिक कचरा के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि एसयूपी का उपयोग नहीं हो। कई राज्यों ने पहले ही इसका उपयोग बंद कर दिया है।
 
जावड़ेकर ने कहा कि हमने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमों को अधिसूचित किया है जिसके तहत 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। हमने राज्यों को 40 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक थैले बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि इससे एसयूपी का उपयुक्त विकल्प खोजने और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए नए तरीकों की खोज करने में सहायता मिलेगी।

 
जावड़ेकर ने कहा कि हम प्लास्टिक हैकथॉन 2021 आयोजित कर रहे हैं। इसमें प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, इसके संग्रह और इससे नए उत्पाद बनाए जाने की संभावना पर विचार किया जाएगा। हैकथॉन में एसयूपी के उपयुक्त विकल्प पर भी चर्चा की जाएगी। स्कूली बच्चों के लिए निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। जब तक स्कूलों और कॉलेजों में ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, छात्रों को इस तरह की गतिविधियों से आनंद मिलेगा और वे पूरे उत्साह के साथ इसमें भाग ले सकते हैं।

 
मंत्री के संदेश से पहले, फिक्की द्वारा एक डिजिटल कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता ने कहा कि यह अभियान प्लास्टिक प्रदूषण के संबंध में विभिन्न पक्षों की क्षमता बढ़ाने का एक प्रयास है। इस अभियान का आयोजन फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और जर्मन संगठन जीआईजेड द्वारा किया जा रहा है। जीआईजेड स्थायी आर्थिक, पारिस्थितिकी और सामाजिक विकास के लिए भारत में सहयोगियों के साथ संयुक्त रूप से काम कर रहा है।
 
गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण पर एसयूपी के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नागरिकों को संवेदनशील बनाने के लिए मंत्रालय ने गहन प्रयास किए हैं। फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने कहा कि यह अभियान विश्व महासागर दिवस के मौके पर शुरू किया जा रहा है और फिक्की इसे सफल बनाने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास करेगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने 8 जून को विश्व महासागर दिवस घोषित किया है। (भाषा)

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