नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 महामारी के कारण जारी लॉकडाउन से विमानन क्षेत्र को करीब 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है और उसे पूरी तरह पटरी पर लौटने में दो साल का समय लग सकता है।
बाजार अध्ययन एवं साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल ने आज जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही। रिपोर्ट के अनुसार इस लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर विमान सेवा कंपनियों को होगा। उन्हें तकरीबन 17-18 हजार करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान उठाना होगा।
हवाई अड्डा संचालकों को पांच हजार करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है। हवाई अड्डों पर बने आउटलेटों को 1,700 करोड़ रुपए से 1,800 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। पूरे विमानन क्षेत्र को तकरीबन 24-25 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की आशंका है।
क्रिसिल के निदेशक (परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स) जगननारायण पद्मनाभन ने रिपोर्ट पर एक टेलीकॉन्फ्रेंस में कहा कि जेट एयरवेज के बंद होने के कारण पिछले साल घरेलू विमानन क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 2.5 प्रतिशत रह गई थी। अभी यह उद्योग उससे उबरने की कोशिश ही कर रहा था कि कोरोना वायरस के कारण कारोबार पूरी तरह ठप हो गया।
कोरोना से स्वदेशी विमान सेवा कंपनियों की उड़ानों में औसतन करीब 90 फीसदी सीटें भरी होती थीं। कोरोना के बाद आरंभ में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक रहेगा और इसे पुराने स्तर तक पहुंचने में दो साल का समय लग सकता है।
पद्मनाभन ने कहा कि कोविड-19 के बाद पूरे विमानन उद्योग में कई ढांचागत बदलाव देखने को मिल सकते हैं। कुछ विमान सेवा कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण की भी संभावना है। उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल विमान सेवा कंपनियां अपने बेड़े में विस्तार नहीं करेंगी।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारतीय एयरलाइंस ने बड़ी संख्या में विमानों के जो ऑर्डर दिए हैं उनमें कुछ ऑर्डर रद्द हो सकते हैं या कम से कम भविष्य के लिए स्थगित किए जा सकते हैं।
हवाई अड्डों के बारे में भी उन्होंने कहा कि अभी संचालक कंपनियां विस्तार की योजना टाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद हवाई यातायात में 40 से 50 फीसदी की गिरावट आएगी। इस कारण हवाई अड्डों के विस्तार की तत्काल कोई आवश्यकता भी नहीं होगी
क्रिसिल ने सरकार से विमानन क्षेत्र के लिए वित्तीय पैकेज देने, विमान ईंधन को जीएसटी में लाने और इसके दाम कम करने, विमान ईंधन के मूल्य के भुगतान के लिए अधिक समय देने और हवाई अड्डा शुल्क माफ करने की मांग की। हालांकि एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने स्वीकार किया कि यदि सरकार विमान ईंधन पर शुल्क नहीं बढ़ाती है तो यह भी बड़ी बात होगी।(वार्ता)