नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को समाजवादी पार्टी के एक सदस्य ने सवाल किया कि केंद्र सरकार की नौकरियां में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों की रिक्तियों को कब तक भरा जाएगा?
उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सपा सदस्य विश्वंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों की रिक्तियों को लंबे समय से नहीं भरा गया है जिससे पिछड़ा वर्ग के युवाओं में गंभीर रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में पिछड़ा वर्ग के लिए तय 27 फीसदी कोटे की रिक्तियों पर लंबे समय से भर्ती नहीं हुई है। निषाद ने दावा किया कि 1994 से अब तक केवल 10 फीसदी रिक्तियां ही भरी गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तो पिछड़ा वर्ग की रिक्तियों पर भर्ती का आंकड़ा लगभग शून्य है। निषाद ने इन रिक्तियों पर अब तक भर्ती नहीं होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की।
अन्नाद्रमुक के एन. गोकुल कृष्णन ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालयों और मेडिकल क्षेत्र में नौकरियों को लेकर समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों में अनिश्चितता और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 20 साल हो गए हैं लेकिन ये सिफारिशें अभी कागज पर ही हैं और केंद्रीय सेक्टर के कर्मचारियों में पिछड़ा वर्ग के कर्मियों की संख्या मुश्किल से 5 फीसदी ही है। (भाषा)