अयोध्या। कब्रिस्तान पर राम मंदिर बनाए जाने से जुड़े विवाद पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने साफ शब्दों में कहा है कि जब मसला देश के सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने निपटा दिया है, तो इस पर फालतू विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है। हमें भी इस पर कोई आपत्ति नहीं है। मुस्लिम समाज के पत्र से जुड़े सवाल पर अंसारी ने कहा कि उनका इस पत्र से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या है मुस्लिम समाज का पत्र : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एमआर शमसाद ने एक पत्र तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेजा है, जिसमें कहा गया है कि 67 एकड़ भूमि में कुछ भूमि कब्रिस्तान की जमीन है। ऐसे में मानव कंकाल पर क्या हिन्दू समाज राम मंदिर का निर्माण करेगा? शमसाद के माध्यम से यह पत्र मुस्लिम समाज के 9 लोगों- सद्दाम हुसैन, नदीम, मोहम्मद आजम कादरी, गुलाम मोईनुद्दीन, हाजी अच्छन खान, हाजी मोहम्मद लईक, खालिक अहमद खान और एहसान अली ने भेजा है।
इन लोगों का दावा है कि 67 एकड़ भूमि में कुछ भूमि पर कब्रिस्तान है, जहां पर उनके पुरखे दफन हैं। इसका सरकारी रिकॉर्ड भी मौजूद है। ऐसे में क्या हिन्दू समाज कब्रिस्तान के ऊपर राम मंदिर का निर्माण करेगा। हालांकि जो मुख्य स्थल गर्भगृह है, वहां पर कब्रिस्तान का दावा नहीं है।
मुस्लिम समाज का कहना है कि मस्जिद तीन तरफ से घिरी हुई थी। जहां पर कब्रिस्तान बना हुआ था। मुस्लिम समाज ट्रस्ट से मांग कर रहा है कि 67 एकड़ में जो भूमि कब्रिस्तान की है, उसको छोड़ दें। पत्र में दावा किया गया है कि वह स्थान गंज शहीदान के नाम से जाना जाता है।
दूसरी ओर, ट्रस्ट की बैठक में भाग लेने दिल्ली पहुंचे ट्रस्टी जिलाधिकारी अनुज झा ने फोन पर बताया की वहां पर कोई भी कब्रिस्तान नहीं था। इस पत्र का कोई औचित नहीं है। अब राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को क्या जवाब देना है, वह बैठक में तय होगा।