कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देने वाले मंत्री विजय शाह को अभयदान मिलने की इनसाइड स्टोरी

विकास सिंह
शनिवार, 17 मई 2025 (12:15 IST)
भोपाल। ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान देने वाले मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को अभयदान मिला गया  है। विपक्ष के तमाम दबाव और जनभावनाओं को दरकिनार कर मंत्री विजय शाह को बचाने में संगठन से लेकर सरकार तक पूरी कोशिश में जुटी हुई दिखाई दे रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले पर 19 मई को सुनवाई  करेगा। 
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मंत्री विजय शाह के खिलाफ जांच में लीपापोती?- हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मंत्री विजय शाह के खिलाफ पुलिस ने FIR  दर्ज तो जरूर कर ली लेकिन गैर जमानती धारओ में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस अब तक न तो मंत्री विजय शाह को तलाश कर पाई है और न ही मामले की जांच शुरु कर पाई है। इंदौर के मानपुर थाने में मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज हुई FIR  को लेकर हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार भी लगाई थी और नए सिरे से निर्देश देते हुए केस डायरी में नई धारओ को दर्ज करने के निर्देश दिए थे लेकिन पुलिस की अभी तक जांच ही नहीं शुरु हो पाई है। इतना ही नहीं जिस मंच से मंत्री विजय शाह ने अपना विवादित बयान दिया था पुलिस उस कार्यक्रम का पूरा वीडिया जुटा पाई है। वहीं FIR दर्ज होने के बाद मंत्री विजय शाह भूमिगत हो गए है। भोपाल के श्यामला हिल्स मंत्री विजय शाह के बंगले पर सन्नाटा पसरा है, हलांकि कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए वहां पर सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी है।
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मंत्री विजय शाह को ‘सरकार’ से अभयदान-हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मंत्री विजय़ शाह के इस्तीफे देने की अटकलें खूब लगाई गई लेकिन न तो मंत्री विजय शाह ने इस्तीफा दिया, साथ ही साथ उनकी कैबिनेट से बर्खास्तगी की किसी भी संभावना को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद खारिज कर चुके है। कांग्रेस की लगातार विजय शाह के मंत्रिमंडल से इस्तीफे की मांग और इसको लेकर प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस कितने भी नाटक कर ले, कांग्रेस को भी पता है कि मामला न्यायालय में है और न्यायालय से बढ़कर कोई नहीं है। नेता प्रतिपक्ष पर भी मुकदमा था, क्या कांग्रेस उनका इस्तीफा मांगेगी, न्यायालय का जहां भी अपमान करने का मौका होता है वहां कांग्रेस बाज नहीं आती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जब इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया तो इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगवा दिया था, तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया उस कानून को बदलने का काम भी कांग्रेस ने किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में माननीय न्यायालय के हर आदेश का पालन किया है। न्यायालय के निर्णय के बाद ट्रिपल तलाक को लेकर आए और राम मंदिर भी बनवाया।  हम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं, जो न्यायालय आदेश देती है, हम उसका पालन करते हैं। न्यायालय जो निर्णय करेगी सरकार उसके साथ है।

वहीं कांग्रेस न्यायालय के आदेश का मखौल उड़ाने का काम हमेशा से करती आई है। कांग्रेस के कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ कोर्ट ने आदेश दिया, कांग्रेस ने उसका क्या किया, क्या न्यायालय के आदेश पर सिद्धारमैया को हटा दिया। अरविंद केजरीवाल सीएम रहते जेल गए, तब कांग्रेस ने उनसे इस्‍तीफे की मांग क्यों नहीं की।

विजय शाह के बचाव में संगठन- वहीं ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान देने वाले मंत्री विजय शाह के बचाव में प्रदेश भाजपा संगठन भी आ रहा है। विवादित बयान देने के बाद अपनी सफाई देने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे मंत्री विजय शाह ने जिस तरह से हंसते हुए माफी मांगी थी, उसके बाद भी भाजपा संगठन ने अपनी आंखें बंद कर रखी। भाजपा संगठन ने विवादित बयान देने के लिए न तो मंत्री से सार्वजानिक तौर पर कोई स्पष्टकीकरण मांगा और न ही कोई नोटिस दिया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से जब मीडिया ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा तो वह भी गोलमाल जवाब देते हुए मामले को टालते नजर आए। 

मंत्री विजय शाह को क्यों मिला अभयदान?- कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान देने वाले मंत्री विजय शाह के इस्तीफा नहीं देने से जब चारों तरह भाजपा की किरकिरी हो रही है तो यह सवाल बड़ा हो जाता है कि आखिरी विजय शाह को क्यों अभयदान दिया जा रहा है। दरअसल इसके पीछे वोट की सियासत की साथ भाजपा की अंदरूनी सियासत है।

विजय शाह पर अगर कार्रवाई नहीं हो रही है तो इसका एक बड़ा कारण भाजपा की वोट बैंक की सियासत है। हरसूद विधानसभा सीट से लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए विजय शाह आदिवासी वर्ग में गोंड जाति से आते है। खंडवा की हरसूद विधानसभा सीट से ढाई दशक से विधायक चुने जा रहे विजय शाह के मालवा-निमाड़ के आदिवाली बाहुल्य इलाके में गहरी पैठ है। खासकर निमाड़ के आदिवासियों के बीच उन्हें आज भी राजा के तौर पर माना जाता है। ऐसे में भाजपा के इस बात का डर है कि अगर विजय शाह के मंत्री पद से हटाया जाता है और पूरे मामले में एफआईआर के बाद उन पर एक्शन होता है तो आदिवासी वर्ग में गलत मैसेज जाएगा और इसका नुकसान उसको चुनाव में उठाने पड़ेगा।

वहीं प्रदेश में 21.5 फीसदी वोट बैंक रखने वाले आदिवासी वर्ग के लिए 47 विधानसभा सीट आरक्षित भी है। विधानसभा चुनाव के परिणाम बताते है कि आदिवासी वोटर जब भाजपा के साथ होता है तभी वह सरकार में आती है। दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो तो प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने 24 सीटों पर जीत हासिल की है वहीं कांग्रेस ने 22 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव आदिवासी सीटों के नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे थे। आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी केवल 16 सीटें जीत सकी और कांग्रेस ने दोगुनी यानी 30 सीटें जीती थी और सत्ता में काबिज हुई थी। यहीं कारण है कि भाजपा विजय शाह को बाहर का रास्ता दिखाकर आदिवासी वर्ग की नाराजगी नहीं मोल लेना चाहती है।

इसके साथ ही विजय शाह को मंत्री पद से नहीं हटाने की एक बड़ी वजह भाजपा की अंदरूनी सियासत भी है। अगर विजय शाह की कैबिनेट से रवानगी होती है तो प्रदेश भाजपा का नया अध्यक्ष आदिवासी वर्ग से आने की संभावना बढ़ जाएगी। ऐसे में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के साथ अध्यक्ष पद के अन्य दावेदारों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। यहीं कारण है कि भाजपा प्रदेश संगठन भी विजय शाह के मामले में लीपापोती में ही जुटा दिखाई दिया।

विजय शाह को भले ही सरकार और संगठन से अभयदान मिल गया है लेकिन पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में है। अगर सुप्रीमकोर्ट 19 मई को सुनवाई करते समय सख्ती दिखाता तब विजय शाह की मुश्किलें बढ़ेगी और उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ सकता है।  
 

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