बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अगले साल दिसंबर में 'मिशन गगनयान' (Gaganyaan) शुरू करने जा रहा है। देश का ये पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन होगा। इस मिशन से पहले अंतरिक्ष की स्थिति को समझने के लिए इसरो एक रोबोट (humanoid) भेजेगा, जो महिला की तरह दिखने वाला होगा। इसरो ने इसे 'व्योममित्र' (Vyommitra) नाम दिया है।
बेंगलुरु में मानव अंतरिक्षयान और खोज : वर्तमान चुनौतियां व भविष्य घटनाक्रम’ पर आयोजित सेमिनार के मौके पर इसरो प्रमुख के. सिवन ने यह घोषणा की।
उन्होंने कहा कि ‘गगनयान’ मिशन का उद्देश्य न सिर्फ अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना है, बल्कि निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति के लिए नया स्पेस स्टेशन स्थापित करना भी है। इसरो प्रमुख ने बताया कि हम तीन चरणों में यह सब कर रहे हैं।
'व्योममित्र' की खासियत : सिवन ने बताया कि 'गगनयान' में किसी भी महिला को नहीं भेजा जा रहा है, इसलिए 'व्योममित्र' को एक महिला के रूप में भेजा जा रहा है। 'व्योममित्र' मल्टी टास्कर है। यह एक साथ कई सारे काम कर सकती है। व्योममित्र दो भाषाएं भी बोलती है। इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने बताया कि यह एक इंसान की तरह काम करेगा और ग्राउंड स्टेशन पर रिपोर्ट करेगा।
इसरो 'मिशन गगनयान' को अगले साल दिसंबर 2021 में लांच करने वाला है। इसके पहले दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन लांच होंगे। 'गगनयान' से अंतरिक्ष यात्रा पर जाने के लिए 4 भारतीय ट्रेनिंग लेने इसी माह के अंत में रूस जाने वाले हैं। इस पूरे मिशन की लागत 10 हजार करोड़ रुपए है।
सिवन ने बताया कि इसरो 'मिशन गगनयान' के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों से भी बात कर रही है, ताकि उनके अनुभव भी इस मिशन में काम आ सकें। सिवन ने कहा कि इसरो ने ‘गगनयान’ के लिए कई नेशनल लैब, इंस्टीट्यूट, डीआरडीओ लैब, भारतीय वायुसेना, सीएसआईआर को पक्षकार बनाया है।
उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त 2018 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘गगनयान मिशन’ के माध्यम से 2022 में या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, जब भारत 2022 में आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा, भारत मां का कोई लाल, चाहे बेटा हो या बेटी तिरंगा लेकर अंतरिक्ष में प्रस्थान करेगा।