मैसुरू। S Jaishankar on Bilawal Bhutto : SCO समिट में शामिल होने पहुंचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जमकर लताड़ लगाई। जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। भारतीय विदेश मंत्री ने बिलावल से हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते करके अपने रुख को स्पष्ट किया।
बिलावल भुट्टो के साथ तल्खी पर मीडिया में चल रही तमाम चर्चाओं पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया। बिलावल भुट्टो के साथ तल्खी को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बिलावल भुट्टो एससीओ में बतौर विदेश मंत्री आए। एक अच्छे गेस्ट के लिए अच्छी खातिरदारी होती है।
मैं एक बेहतर मेजबान हूं। मोदी सरकार की विदेश नीति पर एक सत्र के दौरान जयशंकर ने कहा कि मैं हमारी संख्या देखकर हैरान हूं। मुझे लगा कि हमारे पास सबसे बेकाबू प्रेस है और मौलिक रूप से कुछ गलत हो रहा है। एससीओ बैठक के बाद जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फेंस के दौरान पाकिस्तान और बिलावल के साथ बर्ताव को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बिलावल आतंक की इंडस्ट्री के प्रवक्ता हैं।
पाकिस्तान की किसी बात को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यशंकर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि वह चीनी राजदूत से चीन में क्लास ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी से चीन पर कक्षाएं लेने की पेशकश करता, लेकिन मुझे पता चला कि वह चीनी राजदूत से चीन पर कक्षाएं ले रहे थे। विदेश मंत्री ने डोकलाम संकट के दौरान भारत में चीनी राजदूत के साथ राहुल गांधी की मुलाकात का जिक्र किया।
मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित सवाल-जवाब के एक सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारत की प्रतिष्ठा कम न हो यह सुनिश्चित करना सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में चीन पर काफी गलतबयानी की गई है।
उनसे यहां एक फोरम द्वारा मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान राहुल गांधी के उस बयान के बारे में पूछा गया था कि भारत चीन से खतरे को समझ नहीं पाया। उनसे यह भी पूछा गया कि देश में ही इस तरह की आलोचना से क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर बातचीत करने की भारत की क्षमता पर असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दों पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि कम से कम इस तरीके से बर्ताव करें कि विदेश में हमारी सामूहिक स्थिति कमजोर न हो। चीन पर पिछले तीन वर्षों में हमने देखा है कि काफी गलतबयानी हुई है।
इस संदर्भ में उन्होंने लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा निर्मित एक पुल के बारे में उठाए मुद्दों का जिक्र किया और एक उदाहरण दिया।
जयशंकर ने कहा कि विपक्ष ने कहा कि आपने क्षेत्र गंवा दिया है और वे एक पुल बना रहे हैं लेकिन सच्चाई यह थी कि उस क्षेत्र में सबसे पहले चीनी 1959 में आए थे और फिर उन्होंने 1962 में उस पर कब्जा जमा लिया।
उन्होंने कहा कि यह चीन द्वारा निर्मित कुछ तथाकथित आदर्श गांवों के मामले में भी हुआ, वे ऐसे इलाकों में बनाए गए जिन्हें हम 1962 या उससे पहले गंवा चुके थे।
ऐसे मुद्दों को राजनीतिक रंग देने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में जो भी हुआ वह एक सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी थी।
विदेश मंत्री ने कहा कि जो कुछ हुआ सो हुआ। यह हमारी सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी थी। मैं इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहता। मैं असल में चीन पर गंभीर संवाद चाहता हूं।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से विदेश नीति भी राजनीति का अखाड़ा बन गयी है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सख्त टिप्पणियों पर एक सवाल पर जयशंकर ने इसके लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने एससीओ के अलावा बाकी सभी चीजों के बारे में बात की थी।
जयशंकर ने कहा कि अगर आप देखें कि उन्होंने संवाददाता सम्मेलन तथा अन्य साक्षात्कारों में सार्वजनिक तौर पर क्या कहा था, उन्होंने कहीं भी एससीओ के बारे में बात नहीं की। उन्होंने भारत से जुड़ी हर चीज के बारे में बात की।
उन्होंने कहा कि जरदारी ने राजनीति के बारे में बात की, कश्मीर, जी20 तथा बीबीसी वृत्तचित्र पर टिप्पणियां कीं।
जयशंकर ने एससीओ बैठक के दौरान गोवा में जरदारी की टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए कहा था कि 'आतंकवाद के शिकार लोग आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए आतंकवाद के अपराधियों के साथ नहीं बैठते हैं।'
एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma