जम्मू। पुलवामा हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की खातिर 'सजा' और 'प्रतिकार' के बतौर पर चाहे भारत पाकिस्तान पर हमला नहीं करेगा। लेकिन इतना अब सुनिश्चित हो गया है कि सीमाओं पर कारगिल सरीखे लघु युद्ध हो सकते हैं। ऐसा होने की संभावना इसलिए व्यक्त की जाने लगी है, क्योंकि केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना हमले का जवाब देने की तैयारी में है।
रक्षाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र की ओर से इस संबंध में हरी झंडी मिल चुकी है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी है। हालांकि सेना की नॉर्दर्न कमान में तैनात कई अफसर भी इस प्रकार के संकेत दे रहे हैं। पहले भी उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की जिम्मेदारी नॉर्दर्न कमान को दी गई थी जिसने इसे बखूबी निभाया था।
सीमांत मोर्चों से मिलने वाली जानकारियों के मुताबिक भारतीय सेना पाकिस्तान को सजा देने के लिए कई विकल्पों की तैयारियों में जुटी है। मकसद पाकिस्तान को सजा देना है। सूत्रों के मुताबिक जवाबी हमला करने के लिए फिलहाल कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। राजनीतिक तथा कूटनीतिक मोर्चों के अतिरिक्त सैनिक मोर्चों पर भी पाकिस्तान को पुलवामा हमले का जवाब देने की तैयारी जारी है। सैनिक मोर्चों पर जो भी सुझाव जवाब देने के लिए सुझाए जा रहे हैं, उनका परिणाम अंत में भरपूर युद्ध के रूप में ही निकलता है।
उस कश्मीर में स्थित प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट करने के लिए सुझाए गए 4 विकल्पों में से एक विकल्प जमीन से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस व पृथ्वी मिसाइलों के इस्तेमाल का भी है, जो पूरी तरह से अमेरिका की तर्ज पर करने की बात कही जा रही है। ऐसी सलाह देने वालों का कहना है कि उस कश्मीर के भीतर स्थित प्रशिक्षण केंद्र अधिक गहराई में नहीं हैं और ब्रहमोस व पृथ्वी जैसी मिसाइलें उन पर पूरी तरह से अचूक निशाना लगाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकती हैं।
3 प्रकार के अन्य विकल्प भी सुझाए जा रहे हैं। इनमें एक भारतीय सेना को खूली छूट देने का है अर्थात 'सर्जिकल स्ट्राइक' की तरह भारतीय सेना एलओसी को पार कर 24 घंटों के भीतर आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट कर वापस लौटे। यह कमांडो कार्रवाई होगी जबकि सभी प्रशिक्षण केंद्र अभी भी एलओसी के पार पाक कब्जे वाले कश्मीर में ही हैं। पर पहली 'सर्जिकल स्ट्राइक' के बाद पाकिस्तानी सेना के चौकन्ना हो जाने के बाद इस विकल्प को व्यावहारिक नहीं माना जा रहा है।
सेना को बोफोर्स तोपों का खुलकर इस्तेमाल करने की इजाजत देने का विकल्प भी है। इसके अतंर्गत एलओसी से 18 से 20 किमी की दूरी पर स्थित कुछ प्रशिक्षण केंद्रों पर मोर्टार व बोफोर्स तोपों से हमला किया जाए। बोफोर्स तोपें पहाड़ों में 28 से 30 किमी की दूरी तक मार कर सकती हैं। एलओसी पर बोफोर्स तोपों की तैनाती फिर से हो चुकी है।
सूत्रों के अनुसार इनके अतिरिक्त भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल कर प्रशिक्षण केंद्रों को उड़ाने का विकल्प भी सैनिक कार्रवाई के तहत खुला है। प्रशिक्षण केंद्रों पर हवाई हमले किए जाने का जो विकल्प दिया गया है उसके अंतर्गत यह कहा जा रहा है कि मिराज-2000 तथा सुखोई विमानों का इस्तेमाल किया जाए, जो अचूक निशाना साधने तथा गहराई तक हमला करने में सक्षम माने जाते हैं। हालांकि इसके लिए दोनों किस्मों के विमानों को जम्मू-कश्मीर के सभी सैनिक हवाई अड्डों का इस्तेमाल करना होगा।