नई दिल्ली। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में दुश्मन देश के ड्रोन सुरक्षाबलों की मुश्किलें बढ़ाए हुए हैं। हमारे सुरक्षाबल उन्हें नष्ट भी कर देते हैं। लेकिन, अब भारतीय सेना ने ऐसा कमांडो तैयार किया है, जो आसमान में उड़ते ड्रोन को वहीं अपने पंजों में दबोच लेगा। यह है चील कमांडो 'अर्जुन' (Commando Kite Arjun)। सेना ने उत्तराखंड के औली में अमेरिका के साथ सैन्य अभ्यास के दौरान इसका परीक्षण भी किया।
ड्रोन को नष्ट करने के इस काम में विशेष रूप से प्रशिक्षित कुत्ते और चीलों को लगाया जाएगा। भारतीय सेना के लिए इन चील और कुत्तों को प्रशिक्षण मेरठ के रीमाउंट वेटरीनरी कोर में दी जा रही है। कहा जा रहा है कि परीक्षण पूर्ण होने पर इन्हें भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।
दरअसल, ड्रोन इतने नीचे उड़ते हैं कि ये रडार की पकड़ में नहीं आ पाते। ऐसे में ये चील कमांडो काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। चील रूपी यह 'अर्जुन' कमांडो देखते ही देखते दुश्मन ड्रोन को ठिकाने लगा देगा।
क्या है चील की खासियत : सेना के मुताबिक चील के शरीर की लंबाई 15 से 23 इंच होती है, जबकि इसके पंखों की लंबानी 30 से 45 इंच के करीब होती है। यह पक्षी 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। आसमान में ऊंचाई में उड़ने में सक्षम यह इस पक्षी की नजर काफी तेज होती है। ऊपर से ही यह अपने शिकार को देख लेता है और झपट्टा मारकर अपने शिकार को दबोच लेता है। इसीलिए 'चील झपट्टा' कहावत काफी मशहूर है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना ने 24 नवंबर को जम्मू कश्मीर के सांबा जिले में पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था। वहीं अमृतसर इलाके में बीएसएफ की एक महिला कर्मी ने ड्रोन को गोली मारकर गिरा दिया था। दरअसल, इन दिनों सीमापार से ड्रोन के माध्यम से हथियार, नकदी एवं ड्रग्स बड़ी मात्रा में सप्लाय किए जा रहे हैं। निकट भविष्य में चील की मदद से कोई भी ड्रोन नहीं बच पाएगा। (फोटो : साभार)
written and edited by: Vrijendra Singh Jhala