रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दरमियान जहां दुनिया कई देश दो हिस्सों में बंटे दिख रहे हैं, वहीं भारत इन सबसे दूर तटस्थ भूमिका में दिखाई दे रहा है। इस पूरे प्रकरण में एक खास बात जो सामने आई है वह यह कि भारत ने किसी पक्ष विशेष के समर्थन में आने के बजाय अपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है।
इस बीच, भारत के दौरे पर आए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यह कहकर भारत की भूमिका को और बड़ा बना दिया है कि भारत चाहे तो रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत किसी देश के दबाव में अपनी विदेश नीति तय नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय देशों ने शांति स्थापित करने की दिशा में ईमानदार प्रयास नहीं किए। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत दो देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए 'चौधरी' की भूमिका में नजर आ सकता है।
भारत दौरे पर आए अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह ने भारत को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए कहा कि उसे यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का उल्लंघन करता है तो रूस उसके बचाव में आएगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका किसी भी देश को रूस के केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेन-देन करते नहीं देखना चाहता। अमेरिका ऐसा तंत्र भी नहीं देखना चाहता, जो रूबल को आगे बढ़ाने या डॉलर आधारित वित्तीय प्रणाली को कमजोर करने का काम करे। हालांकि सिंह ने यह भी कहा कि वर्तमान में भारत का रूस से ऊर्जा (तेल-गैस) आयात करना किसी तरह के अमेरिकी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं है। लेकिन, अमेरिका चाहता है कि भारत 'गैरभरोसेमंद आपूर्तिकर्ता' पर अपनी निर्भरता कम करने के तरीके खोजे।
भारत की दो टूक : इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर दो टूक शब्दों में कहा कि भारत के लिए अमेरिका नहीं बल्कि उसका देश हित सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने रूस से पेट्रोल लेने के मुद्दे पर स्पष्ट शब्दों में कहा कि यूरोपीय देश ही बड़ी मात्रा रूस से तेल लेते हैं, जबकि भारत अपनी जरूरत का 1 फीसदी तेल ही रूस से लेता है, जबकि अमेरिका से 7 से 8 फीसदी तेल आयात करता है।
वैश्विक कूटनीति में बढ़ता कद : वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद और रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा उप-सलाहकार दलीप सिंह और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत दौरे पर हैं। वहीं, कुछ समय पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी भी भारत का दौरा कर चुके हैं।इसराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट भी भारत आने वाले थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल उनका दौरा टल गया है।