Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत अंतरिक्ष से कर रहा है सीमाओं की निगरानी, बनाएगा खुद का स्पेस सेंटर

हमें फॉलो करें भारत अंतरिक्ष से कर रहा है सीमाओं की निगरानी, बनाएगा खुद का स्पेस सेंटर
, गुरुवार, 13 जून 2019 (18:20 IST)
नई दिल्ली। भारत ने दो-तीन साल में शुक्र पर मिशन भेजने और अगले एक दशक में अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है जिससे अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी। देश की सीमाओं की निगरानी में अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा उपग्रहों से प्राप्त सजीव तस्वीरों की गृह मंत्रालय 24 घंटे निगरानी कर रहा है।
 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने यहां कहा कि हम अपना खुद का अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध में आगे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह बहुत बड़ा अंतरिक्ष केंद्र नहीं होगा। यह 20 टन वजन का छोटा अंतरिक्ष केंद्र होगा।
 
डॉ. शिवन ने कहा कि हमारा उद्देश्य वहां स्थायी रूप से वैज्ञानिकों को रखना नहीं है। हम प्रयोग को अंजाम देने के लिए अपना मॉड्यूल भेजेंगे। गगनयान मिशन के बाद हम सरकार को अपना प्रस्ताव भेजेंगे। उन्होंने बताया कि अगले एक दशक में भारत का अपना अंतरिक्ष केंद्र स्थापित हो सकता है।
 
अंतरिक्ष केंद्र की लागत के बारे में पूछे जाने पर इसरो प्रमुख ने कहा कि अभी उसका आकलन नहीं किया गया है। अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अभी यह परिकल्पना बेहद शुरुआती दौर में है।
 
दिसंबर 2020 में गगनयान मिशन के बाद इस पर फोकस किया जाएगा और इसलिए अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी देना संभव नहीं है। डॉ. शिवन ने बताया कि इसरो अगले दो-तीन साल में शुक्र पर भी एक मिशन भेजेगा।
 
डॉ. शिवन ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का पहला उद्देश्य वंचितों तक सुविधाएं पहुंचाना और आधुनिक प्रौद्योगिकी को दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाना है। इसका दूसरा उद्देश्य सौर मंडल के रहस्यों को उजागर करना है। इसमें गगनयान से काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी। 
 
उन्होंने बताया कि अब इसरो पहले उद्देश्य से दूसरे उद्देश्य की ओर कदम बढ़ा रहा है। चंद्रयान, गगनयान, मंगलयान तथा अंतरिक्ष केंद्र इसी दूसरे उद्देश्य का हिस्सा हैं। 
 
उन्होंने कहा कि सौर मिशन का प्रक्षेपण वर्ष 2020 की पहली छमाही में किया जाएगा। इसका उद्देश्य सूरज के ‘कोरोना’ में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना है। पृथ्वी के मौसम पर सबसे ज्यादा प्रभाव कोरोना में सतत होने वाले बदलावों का ही होता है।
 
इसरो प्रमुख ने बताया कि भारत का सौर मिशन पृथ्वी और सूरज के बीच पहले लग्रांजियन बिंदु (एल1) तक जाएगा,  जो 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मिशन को वहाँ पहुँचने में करीब 109 दिन का समय लगेगा।
 
लग्रांजियन बिंदु दो बड़े खगोलीय पिंडों के बीच वह बिंदु होता है, जहां कोई छोटी वस्तु लगातार उसी स्थिति में बनी रह सकती है।
 
लाइव फोटोज से हो रही है देश की सीमाओं की निगरानी : देश की सीमाओं की निगरानी में अब अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा उपग्रहों से प्राप्त सजीव तस्वीरों की गृह मंत्रालय 24 घंटे निगरानी कर रहा है।
 
अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हमने अब उपग्रहों के माध्यम से सीमाओं की निगरानी का कम्प्यूटरीकरण कर दिया है। पिछले दो-तीन साल में गृह मंत्रालय के जरिए सीमाओं की निगरानी की जा रही है।
 
सिंह ने कहा कि इससे पड़ोसी देशों से घुसपैठ की घटनाएं रोकने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि सीमाओं पर हो रही गतिविधियों के साथ ही उपग्रह के माध्यम से सीमावर्ती घरों पर भी नजर रखी जा सकती है। यदि किसी घर में कोई संदिग्ध गतिविधि दिखती है तो उस पर फोकस किया जा सकता है।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उपग्रह से तस्वीरें प्राप्त करना पहले भी संभव था, लेकिन अब सीमाओं की निगरानी में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का तरीका ढूंढ लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में इसरो के साथ मिलकर सरकार ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को सफलतापूर्वक घर-घर पहुंचाया है।
 
सिंह ने कहा कि जब दुनिया के कई विकसित देश अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम दे रहे थे, उस समय भारत में हम 'चंदा मामा दूर के' जैसी कविताएं रट रहे थे। हमने देर से शुरुआत की, लेकिन इसके बावजूद हम काफी तेजी से इस दिशा में आगे बढ़े हैं। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में हुई प्रगति के लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की तारीफ की।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Facebook चलाने पर आपको मिलेगा पैसा, जानिए कैसे