भारत-चीन युद्ध, जिसकी संभावना नहीं के बराबर है, लेकिन भारत का यह पड़ोसी मनोवैज्ञानिक युद्ध में जरूर बढ़त बनाए हुए है। चीन का पूरा मीडिया भारत को नसीहतें देने और आलोचना करने का काम बढ़-चढ़कर कर रहा है। मीडिया के माध्यम से चीन की सरकार बार-बार भारत को धमकियां देने से भी नहीं चूक रही है। हकीकत में चीन जानता है कि भारत से युद्ध करना आसान नहीं है। ऐसे में वह मनोवैज्ञानिक दबाव लगातार बना रहा है, ताकि भारतीय सेना डोकलाम से हट जाए और इससे वह भारत समेत अन्य पड़ोसियों (ज्यादातर से सीमा विवाद) को परोक्ष रूप से यह संदेश देन में कामयाब हो जाए कि इस इलाके में एकमात्रा 'दादा' तो वही है, लेकिन भारतीय सेना पूरी ताकत के साथ डोकलाम में डटी हुई। साथ ही भूटान ने भी चीन का प्रतिकार किया है।
एक ओर चीन दोनों देशों की एक जैसी संस्कृति की बात करता है, वहीं वीडियो जारी कर भारत के 7 पाप भी गिनाता है। वीडियो में कहा गया है कि दो महीनों से भी ज्यादा समय से डोकलाम लेकर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा है। 18 जून को भारतीय सेना दो बुलडोजर और हथियारों समेत चीनी क्षेत्र में दाख़िल हो गए। आखिर क्या हैं चीन की नजर में भारत के सात पाप और क्या है उनकी हकीकत....
1. अतिक्रमण : चीन का पहला आरोप है कि भारत उसकी सीमा का अक्रिमण करता है, जबकि हकीकत में चीन भारत की करीब 48 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करके बैठा है। इसके साथ ही आए दिन वह अरुणाचल, सिक्किम, लद्दाख आदि भारत के क्षेत्रों में घुसपैठ करता रहात है।
2. समझौते का उल्लंघन : भारत पर चीन समझौते के उल्लंघन के आरोप भी लगाता रहा है, जबकि खुद शिमला समझौता को नहीं मानता। इसी चीन ने 1962 में पंचशील समझौते का उल्लंघन करते हुए हिन्दी-चीनी भाई भाई के नारे लगाते हुए भारत पर युद्ध थोप दिया और भारत की हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली।
3. अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ना : भारत पर चीन अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का आरोप भी लगाता है, लेकिन चीन खुद कितने कानून मानता है, यह उसके पड़ोसी देशों से ज्यादा कोई नहीं जानता। चीन के अपने लगभग सभी पड़ोसियों से सीमा विवाद हैं। वियतनाम, ताईवान, दक्षिण कोरिया से लेकर भारत तक सबके साथ उसके संबंध खराब हैं।
4. सही और गलत में उलझाना : भारत सही और गलत में उलझाता रहता है, यह भी कहना है चीन का। पूरी दुनिया जानती है कि चीन नजर में सही और गलत का मतलब क्या है। दरअसल, चीन जो चाहता है वही सही होता है। ताजा उदाहरण बोत्सवाना का है, जहां दलाई लामा दौरा करना चाहता थे। चीन ने इसको लेकर बोत्सवाना को धमकाया था, लेकिन उसने दो टूक कह दिया कि बोत्सवाना चीन की कालोनी नहीं है।
5. पीड़ित पर ही आरोप : डोकलाम मामले में चीन खुद को इस तरह पेश कर रहा है, मानो वह पीड़ित है। उसका कहना भी यही है कि भारत पीड़ित यानी चीन पर आरोप लगाता है। हकीकत में तो चीन सभी पड़ोसी उससे पीड़ित हैं। चाहे फिर वह जमीनी सीमा का मामला हो या फिर समुद्री सीमा का।
6. पड़ोसी को धमकाना : पड़ोसी को धमकाने से मतलब यहां चीन का इशारा पाकिस्तान से है। उसका मानना है कि भारत पाकिस्तान को धमकाता रहता है। जबकि अमेरिका समेत पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की शरणगाह है। वहां बैठे आतंकियों के आका जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैला रहे हैं।
7. गलती को दोहराना : चीनी मीडिया बार-बार भारत को 1962 की याद दिलाता है। उसका मानना है कि भारत को युद्ध जैसी गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहिए, जबकि भारत ने साफ शब्दों में कह दिया कि वह अब 1962 वाला भारत नहीं। दूसरी ओर चीन के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि युद्ध की स्थिति में चीन को ज्यादा नुकसान होगा।