नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच लद्दाख गतिरोध को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक माध्यम से बातचीत बनाए रखने पर सहमति बनी है। मंत्रालय ने उन खबरों पर टिप्पणी करने से परहेज किया जिनमें कहा गया था कि सीमा पर गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों और हथियारों को पीछे हटाने के संबंध में दोनों पक्ष एक योजना पर काम कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव से इस बारे में कई सवाल पूछे गए कि पूर्वी लद्दाख में 6 महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को सुलझाने के लिए क्या भारत और चीन किसी खास प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं? उन्होंने कहा, जब हमारे पास साझा करने के लिए जानकारी होगी तो हम साझा करेंगे। चर्चा चल रही है।
सरकारी सूत्रों ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन के बीच तनाव घटाने के लिए समयबद्ध तरीके से गतिरोध वाले सभी स्थानों से हथियारों और सैनिकों को पीछे हटाने के संबंध में त्रि-स्तरीय प्रक्रिया पर सहमति बनी है।
उन्होंने कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय हिस्से चुशूल में छह नवंबर को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच आठवें दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता के दौरान प्रस्ताव पर गहन विचार हुआ।
श्रीवास्तव ने अपने जवाब में पिछले दौर की सैन्य वार्ता के बाद भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा जारी किए गए संयुक्त प्रेस बयान का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ठोस, समग्र और रचनात्मक बातचीत हुई और दोनों पक्षों ने भारत-चीन इलाके में पश्चिमी सेक्टर में एलएसी से लगे गतिरोध वाले सभी स्थानों पर तनाव कम करने के लिए बातचीत की।
श्रीवास्तव ने कहा, भारत और चीन के बीच सैन्य और राजनयिक माध्यम से संवाद बनाए रखने और वरिष्ठ कमांडरों की बैठक में हुई चर्चा को आगे बढ़ाने, लंबित मुद्दे के समाधान पर सहमति बनी है। वे जल्द ही अगले दौर की बैठक के लिए सहमत हुए। सैन्य स्तर पर नौवें दौर की वार्ता अगले कुछ दिनों में होने की संभावना है।
पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सेना के करीब 50,000 जवान तैनात हैं क्योंकि गतिरोध सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता के अब तक ठोस परिणाम नहीं निकल सके हैं। अधिकारियों के मुताबिक चीन ने भी इतने ही जवान तैनात कर रखे हैं। दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध आरंभ हुआ था।
थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय और चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने और तनाव घटाने के संबंध में किसी ठोस समझौते पर पहुंचेंगी। (भाषा)