मंगलवार को अमेरिका के टेक्सस प्रांत में एक 18 साल के युवक ने अंधाधुध फायरिंग कर 19 मासूम बच्चों की हत्या कर दी। इस वीभत्स हत्याकांड को अंजाम देने वाले 18 साल के हमलावर सल्वाडोर रामोस को घटना के बाद पुलिस ने मार गिराया। अमेरिका में गोलीबारी की घटना कोई नई बात नहीं है लेकिन बीते कुछ सालों से इस तरह की घटनाएं अचानक से बढ़ गई है।
मासूम बच्चों के हत्याकांड के पीछे सबसे बड़ी वजह अमेरिका में तेजी से बढ़ते गन कल्चर को माना जा रहा है। अमेरिका में कई प्रांतों में लोगों को बिना लाइसेंस के ही बूंदक खरीदने और रखने की छूट मिली हुई है। दरअसल अमेरिका का संविधान अपने नागरिकों को हथियार रखने का अधिकार देता है। इसके साथ अमेरिका में का राष्ट्रीय राइफल संघ की एक ऐसी ताकतवर लॉबी है जिसके आगे सरकार घुटने टेकने पर मजबूर होती है।
टेक्सस की घटना के बाद अब अमेरिका में इस गन कल्चर को खिलाफ आवाज उठने लगी है। हमले में मारी गई टीचर ईवा मिरेलेस की रिश्तेदार लिडिया मार्टिनेज डेलगाडो ने घटना पर अपना गुस्सा जताते हुए कहा कि अमेरिका में निर्दोष बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है। बंदूकें सभी के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं होनी चाहिए।
वहीं घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा की एक 18 साल का बच्चा बंदूक की दुकान में घुस सकता है और हथियार खरीद सकता है, यह गलत है। हम इस नरसंहार के साथ जीने को तैयार क्यों हैं, हम ऐसा क्यों होने देते रहते हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक हत्यारे सल्वाडोर रामोस ने अपनी किसी नजदीक दोस्त से सोशल मीडिया पर बातचीत में किसी बड़ी घटना का इशारा दिया था। वहीं घटना के तार अमेरिका हिस्पानिकों को लेकर बनाए गए घृणा के माहौल से भी जुड़े हुए है। जिस स्कूल में पूरी घटना घटी वहां हिस्पानिक मूल के बच्चे अधिक संख्या में पढ़ते थे। वहीं इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि हत्यारे का व्यवहार पिछले कुछ दिनों से बदला हुआ था और वह कुछ दिनों से चुप रहने लगा था।
टेक्सस की घटना की अगर बारीकी से पड़ताल करें तो पता चलता है कि इसके मूल में सबसे बड़ा कारण समाज में एक दूसरे के प्रति बढ़ती घृणा, नफरत है जिसका असर सीधे लोगों के मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है और हिंसा की वारदात में इजाफा हो रहा है। अगर विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र अमेरिका इन चुनौतियों से जूझ रहा है तो विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत में तेजी से बढ़ती मॉब लिचिंग, समुदायों में टकराव और दंगे की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोत्तरी इस बात का प्रमाण है कि समाज में एकता और भाईचारे की डोर थोड़ी सी खिंच रही है।
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लंबे समय से जागरूकता अभियान चला रहे मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते है टेक्सस की घटना कहीं न कही समाज और हमारी अस्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य का जीता जागता उदाहरण है। वह कहते हैं 18 साल के बच्चे का इतने बड़े नरसंहार को अंजाम देना बताता है कि हम अदंर से अक्रोश और क्रोध से भर चुके है और इस कारण जब ऐसी स्थिति में सॉफ्ट टारगेट मिलता है तब हम अपने मन की सारी कुंठा निकाल देते है। वह कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं का मानसिक स्वास्थ्य से सीधा कनेक्शन है और व्यक्ति के अंदर पनप रहे अक्रोश को दिखाता है।
भारत में भले ही मॉब लिचिंग की घटनाओं से जुड़ा भले ही कोई आधिकारिक डाटा उपलब्ध नहीं है लेकिन बीते दिनों में महाराष्ट्र से लेकर मध्यप्रदेश तक जिस तरह मॉब लिचिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ी है वह पूरे समाज के लिए एक सीधी चेतावनी है।
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि अगर भारत की बात करे तो भारत में मॉब लिचिंग की घटनाओं से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो को जिस तरह से सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है उससे एक तरह से इनका महिमामंडन होता है और वह दूसरे लोगों के लिए मॉडल का काम करता है। वह पिछले दिनों मध्यप्रदेश के नीमच की घटना का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक खुद आरोपी ने घटना के वीडियो को वायरल किया, इससे यह पता चलता है कि आरोपी पहले हुई इस तरह की घटनाओं से प्रेरित था।
मॉब लिचिंग की घटनाओं को सोशल मीडिया या मीडिया जिस तरह प्रचारित और प्रसारित किया जाता है उसका बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दुर्भाग्य से ऐसी घटनाएं जितना दिखाई या प्रचारित की जाएगी उससे जाने अंजाने लोग प्रेरित ही होते है।
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि आज जिस तरह से एक के बाद एक घटनाएं होती जा रही है उसके बाद जरूरी हो गया है कि समाज में समरसता लाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है औऱ इसके लिए आज सरकार आगे भी आ रही है। इस साल के बजट में सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर देश में 23 टेलीमेंटल हेल्थ का एक नेटवर्क बनाने की बात भी की है।