नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि हत्या मामले के आरोपी को अपराध में शामिल हथियार की बरामदगी न होने पर भी दोषी ठहराया जा सकता है, बशर्ते चश्मदीद गवाह के तौर पर प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद हो।
शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के जून 2018 के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें हत्या के मामले में तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी नहीं होती है फिर भी इसे आरोपी को बरी करने का अधिकार नहीं कहा जा सकता, बशर्ते चश्मदीद का प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद हो।
पीठ ने दोषी को बरी करने के उच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त करते हुए निचली अदालत के फैसले को बहाल कर दिया और दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala