नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का कहना है कि बार-बार एक ही विषाणु की चपेट में आने के बाद उससे निपटने के लिए मनुष्यों में विभिन्न प्रकार की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इससे कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सामने आए पुन: संक्रमण के तरीकों (पैटर्न) की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है।
ब्रिघम एंड वीमेन हास्पिटल (अमेरिका) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के निष्कर्ष प्रतिरक्षा संबंधी आकलन में मदद कर सकते हैं। अध्ययन के लेखक प्रोफेसर स्टीफन जे. एलेज ने कहा कि ये निष्कर्ष प्रतिरक्षा संबंधी अनुमान में मदद कर सकते हैं और प्रतिरक्षा रणनीतियों के संबंध में लोगों के सोचने के तरीके को बदल सकते हैं।
यह तथ्य साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। जांचकर्ताओं ने कहा कि अब तक के अध्ययनों से संकेत मिले हैं कि लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली एक तय तरीके से एपिटोप्स को लक्षित करती हैं। अध्ययन के अनुसार एंटीबॉडी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए वाई-आकार के खोजी कुत्ते हैं, जो विदेशी हमलावरों को ढूंढ सकते हैं और उनकी पहचान कर सकते हैं।
इस अध्ययन के लिए जांचकर्ताओं ने अमेरिका, पेरू और फ्रांस में प्रतिभागियों के रक्त के 569 नमूनों का विश्लेषण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि सार्वजनिक एपिटोप्स की पहचान मानव एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की एक सामान्य विशेषता है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)