गौतम अडानी समूह एशिया के नए रसूखदार के तौर पर उभर रहे हैं। क्योंकि उन्होंने मुकेश अंबानी के साम्राज्य के कई सेक्टर्स को चुनौती देना शुरू कर दिया है। वे अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को टक्कर देने की स्थिति में हैं। रिपोर्ट बताती हैं कि अडानी ने अपने फोकस्ड और परंपरागत सेक्टर्स के अलावा अब नए सेक्टर्स में दांव लगाना शुरू कर दिया है।
1980 के दशक में उन्होंने जिंस कारोबारी के रूप में काम शुरू किया था और बाद में खान, बंदरगाह, बिजली संयंत्र, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आ गए। अब NDTV में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर वे मीडिया सेक्टर्स में भी आ गए हैं। कहा जा रहा है मीडिया में यह उनका आखिरी दांव नहीं है। हालांकि ऐसे में सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या NDTV पर कब्जा करना अडानी का 'होस्टाइल टेकओवर' है। बहरहाल जानते हैं, कैसे पसर रहा है अडानी का साम्राज्य।
कैसे पसर रहा अडानी का साम्राज्य?
कारोबारी जगत में कदम रखने के बाद से ही अडानी साम्राज्य लगातार फैलता जा रहा है। बता दें कि अडानी समूह ने साल 1980 के दशक में जिंस कारोबारी के रूप में काम शुरू किया और बाद में खान, बंदरगाह और बिजली संयंत्र, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में कदम रखा। हाल ही में समूह ने होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट क्षेत्र कदम रखा है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को टक्कर
ब्लूमबर्ग बिलियनर्स इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में इस साल अडानी की दौलत में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। अडानी भारत के सबसे अमीर व्यापारी बन चुके हैं। अब वे मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को टक्कर दे रहे हैं। अडानी ने अपने पारंपरिक सेक्टरों से अलग हटाकर दूसरे सेक्टर्स में कदम रखा है। अडानी और अंबानी की टक्कर अब ग्रीन एनर्जी, ई-कॉमर्स से लेकर डेटा स्ट्रीमिंग और स्टोरेज तक में दिख सकती है।
अडानी ने बदला कारोबारी पैंतरा
दशकों से अडानी का कारोबार बंदरगाहों, कोयला खनन और शिपिंग जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित था। हालांकि, बीते कुछ सालों में नाटकीय बदलाव हुआ है। वह हर क्षेत्र में कदम रख रहे हैं। पेट्रोलियम से लेकर मीडिया तक वह हर सेक्टर में पांव फैला रहे हैं। ताजा बानगी एनडीटीवी है। उन्होंने 34 साल पुराने मीडिया संस्थान में करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली। पेट्रोलियम सेक्टर में भी वह मौके तलाश रहे हैं। मार्च में अडानी ग्रुप सऊदी अरब में संभावित पार्टनरों की खोज में था। ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, ग्रुप अरामको में खरीदारी की संभावना तलाश रहा था।
इन सेक्टर्स में अडानी का कारोबार
बिजली संयंत्र
कोयला खनन
शिपिंग
सड़क परियोजनाएं
पोर्ट
सीमेंट
एनर्जी और इकोसिस्टम
मीडिया
NDTV क्यों नहीं चुका पाया कर्ज?
दरअसल, NDTV ने कर्ज लिया था, जिसे वो चुका नहीं पाया। ये लोन 10 साल के लिए लिया गया था और इसकी अवधि 2019 में खत्म हो गई थी। लेकिन आरआरपीआर इस कर्ज को नहीं चुका पाया था। यह कर्ज प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय एनडीटीवी के संस्थापक और प्रोमोटर्स ने साल 2008-09 में लिया था। उन्होंने यानी आरआरपीआर (राधिका रॉय प्रणय रॉय) होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिये वीसीपीएल से यह कर्ज़ लिया था। इस लोन के बदले वीसीपीएल को 29.18 प्रतिशत रेहन में दिए गए थे। साथ ही ये विकल्प भी दिया गया था कि लोन न चुका पाने की स्थिति में वे इन वाउचर्स का 99.5 फ़ीसदी हिस्सा इक्विटी में बदल सकते हैं।
क्या यह 'होस्टाइल टेकओवर' है?
गौतम अडानी ने एक अज्ञात कंपनी के जरिये एनडीटीवी में अपना हिस्सा खरीदा था। यानी जिसके बारे में किसी को पता न हो। ऐसे में इसे 'होस्टाइल टेकओवर' कहा जा रहा है। 'होस्टाइल टेकओवर' यानी प्रबंधन की इच्छा के विरुद्ध कंपनी पर कब्जा जमाने का प्रयास। पिछले मंगलवार को अडानी ग्रुप ने एक्सचेंज को बताया कि उसने विश्वप्रधान कॅमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड यानी वीसीपीएल को खरीद लिया है। अडानी ने 100 फीसदी हिस्सा करीब 114 करोड़ रुपए में खरीदा।
किसके पास कितनी हिस्सेदारी?
NDTV के प्रमोटर्स प्रणय रॉय के नाम कंपनी में 15.94 फीसदी हिस्सेदारी।
पत्नी राधिका रॉय का कंपनी में 16.32 फीसदी हिस्सा।
आरआरपीआर (जिसके प्रमोटर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय हैं) के पास एनडीटीवी के 29.18 फीसदी शेयर थे।
रीटेल निवेशकों के पास कंपनी के 12.57 फीसदी शेयर हैं।
कॉर्पोरेट संस्थाओं के पास 9.61 फीसदी हिस्सेदारी है।
एफपीआई (foreign portfolio investment) के पास 14.7 फीसदी शेयर हैं। अन्य के पास 1.67 फीसदी हिस्सेदारी है।