- देश में 58 हजार करोड़ तक पहुंचा कोचिंग बाजार
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2028 तक 1.3 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा कोचिंग उद्योग
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बच्चों का कॅरियर, कामयाबी और मां-बाप की महत्वकांक्षा ने बना डाला बड़ा बाजार
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दबाव में कर्ज और आत्महत्या का कारण भी बना कोचिंग
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कोटा में हर साल कई छात्र दबाव में कर लेते हैं आत्महत्या
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2016 में 7.1 करोड़ छात्रों ट्यूशन और कोचिंग में रजिस्टर्ड कराया
Coaching mafia in india : मध्य प्रदेश से लेकर राजस्थान तक। महाराष्ट्र से लेकर बिहार, यूपी और केरल तक। भारत में कोचिंग कल्चर एक महामारी के रूप में उभरकर पसर रहा है। देश के हर राज्य में कोचिंग का यह जाल इस कदर फैला है कि कोई बच्चा या उसके मां-बाप इससे अछूते नहीं रहे हैं। उन्हें लगता है कि बगैर कोचिंग के तो जिंदगी बर्बाद ही है।
अब तो यूट्यूबर्स से लेकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स तक ने अपनी ट्यूशन की दुकानें खोल लीं हैं। ऑनलाइन कोचिंग एक अलग बाजार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में कोचिंग का बाजार देश में 58 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2028 तक कोचिंग का यह बाजार 1.3 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा।
मौत की क्लास, कर्ज का प्रेशर : कोचिंग कल्चर या कहें कोचिंग माफिया के इस बढ़ते मकड़जाल पर न राज्य सरकारों का और न ही केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण है, लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी इन कोचिंग में पढ़ने वालों की सुरक्षा की गारंटी जीरो है। इसका नतीजा यह होता है कि राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े आइएएस कोचिंग संस्थान में तीन बच्चे बारिश के पानी में डूबकर मर जाते हैं। दिल्ली में ही एक छात्रा घर का किराया और कोचिंग की फीस का दबाव नहीं झेल पाती है और आत्महत्या कर लेती है। एक तरह से देश में पनप रहा कोचिंग का यह भयावह कल्चर बच्चों के लिए मौत की क्लास बनती जा रही है तो वहीं उनके परिवारों के लिए कर्ज तले दबकर मर जाने की सबसे बड़ी वजह बन गई है। दुखद है कि कोचिंग माफिया के बाजार को कंट्रोल करने के लिए कोई कानून कायदा नहीं है। दिल्ली की घटना के बाद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कोचिंग कल्चर को धंधा बताया है।
फिट्जी का फर्जीवाड़ा : हाल ही में आईआईटी जेईई की तैयारी कराने वाले देश के सबसे बड़े संस्थान फिट्जी ने इतनी बड़ी धांधली की कि कई राज्यों के लाखों स्टूडेंट और उनके परिजन परेशान हो गए। दरअसल, फिट्जी के संचालकों ने अपने यहां आने वाले स्टूडेंट से लाखों रुपए फीस एडवान्स ले ली, लेकिन कोचिंग सेंटर्स शटडाउन कर दिए। वहां पढ़ाने के लिए न फैकल्टी आ रही है और न ही सेंटर्स के ताले खुल रहे हैं। जिसके चलते इंदौर, भोपाल, जयपुर और नागपुर समेत देशभर के कई शहरों में हजारों स्टूडेंट की लाखों-करोड़ों फीस इस कोचिंग सेंटर में फंसी हुई है।
58 हजार करोड़ का रुपए का बाजार
कोचिंग कल्चर सबसे बड़ा बाजार : बच्चों पर कॅरियर और कामयाबी का दबाव और मां-बाप की महत्वकांक्षा ने देश में कोचिंग कल्चर को एक ऑर्गनाइज्ड माफिया और कॉर्पोरेट बाजार में तब्दील कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोचिंग का बाजार 58 हजार करोड़ का रुपए तक पहुंच गया है। यही रिपोर्ट दावा करती है कि कोचिंग उद्योग साल 2028 तक 1.3 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा। (पुणे स्थित कंसल्टेंसी फर्म इंफिनियम ग्लोबल रिसर्च)
कश्मीर से कन्याकुमारी तक : कोचिंग पर निर्भरता : कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत के हर राज्य में कोचिंग माफिया ने इस कदर पैर पसार लिए हैं कि कोई इससे चाहकर भी बच नहीं पा रहा है। नर्सरी के बच्चों से लेकर स्कूल और कॉलेज के छात्रों की ट्यूशन तक और आइएएस, एमबीए, सीए, बैंकिंग, आईआईटी, जेईई, आईटी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ, रेलवे तक छात्र और उनके परिजन इन कोचिंग पर निर्भर हो गए हैं। इस पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और डिजिटल कोचिंग क्लासेस की दुनिया ने अपना एक अलग कब्जा जमा लिया है। कोचिंग का ये जाल एक महामारी की तरह पसर रहा है। नेशनल सैंपल सर्वे (National Sample Survey Offic) की 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 7.1 करोड़ छात्र अलग अलग तरह की ट्यूशन और कोचिंग में रजिस्टर्ड हैं। यह 2016 की रिपोर्ट है, 2024 में क्या आलम होगा अंदाजा लगाया जा सकता है। कोचिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक कोचिंग सेंटरों की 2010 में 1,700 थी जो साल 2022 में बढ़कर 4,200 हो गई। यह तो सिर्फ 2022 तक के ही आंकड़े हैं। साफ है कि कोचिंग माफिया पर कोई नियंत्रण नहीं है।
बायजू से एलन तक : कैसे पैर पसार रहा कोचिंग कल्चर : बता दें कि ऑनलाइन कोचिंग देने वाले बायजू के पूरे भारत में 4,000 से ज्यादा ट्यूशन सेंटर हैं। अक्टूबर 2021 में जयपुर में लॉन्च होने के एक साल के भीतर इसके शहर में छह सेंटर खुल गए थे। इसमें कक्षा 1 से तीन तक के छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जाता है, जबकि 10वीं कक्षा तक के छात्रों को ऑफलाइन क्लास दी जाती हैं। बायजू, एलन, रेजोनेंस और आकाश जैसे तमाम दिग्गज कोचिंग ब्रांडों का वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है।
कोटा में हर साल कई आत्महत्याएं : बता दें कि कोचिंग क्लास में प्रतियोगिता का इस कदर दबाव है कि राजस्थान के कोटा में हर साल कई छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर लेते हैं। कोटा समेत कई शहरों से ऐसी खबरें आम हो गई हैं। दिल्ली, मुंबई समेत कई महानगरों में कोचिंग क्लासेस में बच्चों की सुरक्षा के मापदंड पूरे नहीं है। इसी के चलते दिल्ली में हादसा हुआ और 3 छात्रों की मौत हो गई।
सरकार की गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां : बता दें कि प्राइवेट कोंचिंग सेंटर्स की मनमानी और धांधली पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कोचिंग सेंटर्स के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी। गाइडलाइन के मुताबिक कोचिंग सेंटर में अब 16 साल से कम उम्र के बच्चों को पढ़ाई के लिए नामांकन नहीं कर सकते। कोचिंग सेंटर किसी छात्र से मनमानी फीस भी नहीं वसूल सकते। नियमों का उल्लंघन करने पर पहले बार 25 हजार रुपए दूसरी बार 1 लाख रुपए और तीसरी बार रजिस्ट्रेशन कैंसल करने का प्रावधान है, लेकिन यह नियम कहीं नजर नहीं आता है। सवाल यह है कि देश में बढ़ते कोचिंग क्लास के इस जानलेवा कल्चर से कैसे और कब देश के भविष्य को मुक्ति मिलेगी।