Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले नगालैंड का क्या है इतिहास?

हमें फॉलो करें ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाले नगालैंड का क्या है इतिहास?
सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 14 स्थानीय नागरिकों की मौत के बाद नगालैंड फिर सुलग उठा है। इस घटना के बाद भड़की हिंसा में एक सैनिक की भी मौत हो गई। दरअसल, शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे। 
 
सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें 6 मजदूरों की जान चली गई।
 
जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तथा इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई। इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षा में की गई गोलीबारी में 7 और लोगों की जान चली गई।
 
इस बीच, नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में नागरिकों की मौत के कारण पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 को वापस लेने की मांग रविवार को नए सिरे से जोर पकड़ने लगी है।
 
नगालैंड का इतिहास : नगालैंड के उत्तर-पूर्व में स्थित एक राज्य है। यह भारत का सबसे छोटा राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है। इस राज्‍य के पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। इसे ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। 1 दिसंबर 1963 को नगालैंड आधिकारिक तौर पर भारत का 16वां राज्य बना।
 
इसके लिए तत्कालीन प्रधानंमत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू नेहरू को नगा पीपुल्स कन्वेंशन के नेताओं के साथ 16 बिंदुओं का एक समझौता करना पड़ा। 1960 के समझौते में कहा गया कि नगा राज्य का जो हिस्सा ब्रिटेन ने असम में जोड़ दिया था, उसे वापस किया जाएगा।
 
इसके लिए 1971 में एक कमीशन का भी गठन किया गया। इसका नाम सुंदरम कमीशन था, लेकिन इसकी सिफारिशों को नगालैंड ने स्वीकार नहीं किया। असम और नगालैंड 434 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं। 
 
जनसंख्या 19 लाख से ज्यादा : नगालैंड का क्षेत्रफल 16 हजार 579 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत 11 जिले आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार नगालैंड की जनसंख्या 19 लाख 80 हजार 602 है। यहां अंग्रेजी, आओ, कोयक, आंगामी, सेमा और लोथा भाषाएं बोली जाती हैं। वर्तमान समय में यहा अंग्रेजी भाषा अधिक बोली जाती है। नगालैंड में हिन्दू, मुस्लिम और इसाई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। इनमें ईसाई समाज की अधिकता है।
 
19वी शताब्दी में यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया था। 1944 में द्धितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों और भारतीय सेनाओं ने मिलकर बैटल ऑफ कोहिम में जापानी सेनाओं को पराजित किया था। 1957 तक यह क्षेत्र नागा हिल्स त्वेनसांग के नाम से जाना जाता रहा।
 
आजादी के लिए रेफरेंडम : आजादी के वक्त ज्यादातर लोगों के ध्यान भारत-पाक बंटवारे पर था, लेकिन उसी दौरान नॉर्थ-ईस्ट के भी कई राज्य ऐसे थे जो भारत से अलग होने पर अड़े थे। पंडित नेहरू ने जैसे-तैसे इनको मनाया, लेकिन इसके बावजूद 1951 में नागा गुटों ने (जिनमें NNC सबसे आगे था) नगालैंड में एक रेफरेंडम करवा लिया।
 
रेफरेंडम के अनुसार नगा लोगों की राय थी कि ‘हम भारत से अलग एक स्वतंत्र राष्ट्र बने रहना चाहते थे। हालांकि पंडित नेहरू यह कहकर इस रेफरेंडम को मानने से इंकार कर दिया कि आधिकारिक तौर पर नागा इलाके असम का हिस्सा हैं।
 
हिंसा का पुराना इतिहास : नगालैंड और असम के बीच हिंसा का पुराना इतिहास है। 8 जून 1985 को असम-नगालैंड बॉर्डर पर  भारी संख्या में नगालैंड पुलिस के जवानों ने असम के गोलाघाट जिले के मीरापानी पुलिस थाने पर हमला बोल दिया।
 
नगालैंड और असम के बॉर्डर पर चल रहा बाड़ लगाने का काम इस झगड़े की मूल वजह था। करीब 4 घंटे तक चली हिंसा में 41 लोगों को जान गंवानी पड़ी और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मरने वालों में 28 असम पुलिस के जवान थे। दहशत के चलते 25 हजार से ज्यादा लोग उस समय पलायन कर गए थे। 
 
इससे पहले 5 जनवरी 1979 में नगालैंड सीमा से लगे असम के गांवों पर हथियारबंद लोगों ने हमला किया। इसमें असम के 54 लोग मारे गए। 23 हजार 500 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी। इतने सालों के बाद भी असम-नगालैंड सीमा पर तनाव कम नहीं हुआ। 
 
आज भी अच्छे नहीं हैं हालात : दोनों राज्यों के बीच आज भी हालात अच्छे नहीं है। मई 2021 में कांग्रेस के विधायक रूपज्योति कुर्मी असम-नगालैंड सीमा से लगे दिसाई घाटी के आरक्षित वन क्षेत्र पहुंचे थे। उस समय उन पर गोलीबारी की गई। इसी तरह मरियानी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रूपज्योति के काफिले पर भी फायरिंग की गई। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे। 
 
दरअसल, असम-नगालैंड की सीमा पर झड़पें लगातार होती रहती हैं। 2020 में आर्थिक नाकेबंदी के माध्यम से असम के लोगों ने नागाओं को आने से रोक दिया था। इस तरह से दोनों ही राज्य के लोग एक दूसरे के आमने-सामने आते रहते हैं। हालांकि गोलीबारी की ताजा घटना के बाद सेना और स्थानीय लोग एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

HCL Technologies की अमेरिका में 12 हजार नौकरियां देने की योजना