जम्मू। परंपरा को जीवित रखने की खातिर राज्यपाल शासन ने अमरनाथ यात्रा की प्रतीक छड़ी मुबारक को अब हेलीकॉप्टर से अमरनाथ गुफा तक पहुंचा कर उसे स्थापित करने का फैसला किया है ताकि अमरनाथ यात्रा संपन्न मानी जा सके।
दरअसल पवित्र छड़ी मुबारक शनिवार को निर्धारित कार्यक्रम अनुसार शनिवार को पहलगाम नहीं पहुंच सकी। पवित्र छड़ी मुबारक अब हेलीकॉप्टर के जरिए ही पवित्र गुफा पहुंचेगी और वह 14 अगस्त को अपनी विश्रामस्थली दशनामी अखाड़ा से रवाना होगी। पवित्र गुफा में पवित्र छड़ी मुबारक का प्रवेश 15 अगस्त रक्षाबंधन की सुबह होगा। इसके साथ ही बाबा बर्फानी के मुख्य दर्शन के साथ श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा-2019 भी संपन्न हो जाएगी।
निर्धारित कार्यक्रमानुसार, पवित्र छड़ी मुबारक को मुख्य संरक्षक दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में शनिवार सुबह यहां से रवाना होना था, लेकिन कश्मीर में बदली परिस्थितियों के कारण पहलगाम रवाना नहीं हुई।
सामान्य परिस्थितियों में पवित्र छड़ी मुबारक दशनामी अखाड़ा से निकलने के बाद दुर्गानाग श्रीनगर, सूर्यहार मंदिर इंदिरा नगर, पाम्पोर शिव मंदिर, बीजबिहाड़ा मंदिर सहित रास्ते के सभी पौराणिक और प्रमुख मंदिरों में पूजा करते हुए पहलगाम स्थित गणोशबल मंदिर पहुंचना था। गणोशबल पहुंचने से पहले छड़ी मुबारक ने मरतड मंदिर में भी भगवान सूर्य की पूजा का अनुष्ठान पूरा करना था।
दो दिन पहलगाम में विश्राम करने के बाद 12 अगस्त को छड़ी मुबारक ने आगे की यात्र शुरू करनी थी। शेषनाग, पंचतरनी होते हुए 15 अगस्त की सुबह पवित्र गुफा में प्रवेश करना था।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि वादी में तनाव के मद्देनजर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए आज छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरी से बैठक की। उन्होंने कहा कि छड़ी मुबारक की रवानी 14 अगस्त तक रोक जा सकता है, लेकिन इसका पवित्र गुफा में पहुंचना अनिवार्य है।
जिला उपायुक्त श्रीनगर डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी ने कहा कि श्री अमरनाथ की छड़ी मुबारक शनिवार पहलगाम रवाना नहीं हुई। महंत दीपेंद्र गिरी व अन्य संत महात्माओं से हुई बातचीत में तय हुआ कि छड़ी मुबारक अब 14 अगस्त को दशनामी अखाड़ा से रवाना होगी। उसे हेलीकॉप्टर के जरिए पवित्र गुफा में पहुंचाया जाएगा।
गौरतलब है कि अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई को शुरू हुई थी, लेकिन प्रशासन ने वादी के मौजूदा हालात के मद्देनजर गत दो अगस्त को स्थगित कर दिया था। यात्रा 15 अगस्त को संपन्न होनी थी। करीब साढ़े तीन लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए थे।