हीट वेव के बारे में तो आप जान ही रहे होंगे! अपनी बोलचाल की भाषा में हम इसे लू कहते हैं। गर्मियों के मौसम में मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान जो बहुत गर्म हवाएं चलती हैं, उसे ही हम लू या हीट वेव कहते हैं।
समंदर में भी ऐसी हीट वेव चला करती हैं, जिसका प्रभाव वातावरण पर पड़ता है। समुद्री हीट वेव का मतलब समंदर के पानी का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना होता है।
समुद्री हीट वेव समुद्र या महासागर में असामान्य उच्च तापमान की एक छोटी अवधि होती है. इसको लेकर हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि समुद्री हीट वेव के तेजी से बढ़ने के चलते भारतीय मॉनसून पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है. इससे देश में बारिश प्रभावित हो रही है।
पिछले साल वैश्विक समुद्री हीट वेव में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी जो 2013 के बाद सबसे ज्यादा थी। इस वजह से मौसम पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
एक स्टडी सामने आई है। स्टडी से पता चला है कि हिंद महासागर में समुद्री हीटवेव तेजी से बढ़ रही हैं और इससे भारत में मॉनसून की बारिश पर असर पड़ रहा है।
पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। रिसर्च जर्नल जेजीआर ओशन्स (JGR Oceans) में यह स्टडी प्रकाशित हुई है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि पहली बार कोई ऐसा अध्ययन हुआ है जिसने समुद्री हीट वेव का वायुमंडलीय परिसंचरण और बारिश से निकट संबंध को दर्शाया है।
उन्होंने कहा कि चूंकि समुद्री हीटवेव की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, इसलिए समुद्री अवलोकन संबंधी गतिविधियों को बढ़ाने और मौसम से जुड़े मॉडल को उन्नत करने की आवश्यकता है।
जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल के नेतृत्व में हुए अध्ययन के अनुसार, इन घटनाओं से प्रवाल विरंजन (रंग बदलना), समुद्री घास का नष्ट होने और वनों के नुकसान से निवास स्थान नष्ट होते हैं। साथ ही मछली पालन के क्षेत्र पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जलक्षेत्र के अंदर हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि तमिलनाडु के तट के निकट मन्नार की खाड़ी में 85 प्रतिशत प्रवालों का मई 2020 में समुद्री हीटवेव से रंग परिवर्तित हो गया था। हालांकि हाल के अध्ययनों में इन घटनाओं के होने और वैश्विक महासागरों पर इनके प्रभावों के बारे में जानकारी दी है, लेकिन उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा पिछले साल जारी एक अस्थाई रिपोर्ट में कहा गया था कि बीते सात साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं।
वर्ष 2013 के बाद से वैश्विक समुद्र-स्तर में तेजी आई है, जो 2021 में एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया। हालांकि इस रिपोर्ट में समुद्र के पानी के गर्म होने के लिए रिकॉर्ड समुद्र के स्तर में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया गया था।