वाराणसी। वाराणसी जिला जज शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग से जांच पर अपना फैसला सुना सकते हैं।
ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की कार्बन डेटिंग या अन्य आधुनिक तरीके से जांच पर शुक्रवार को जिला जज की अदालत का आदेश आ सकता है।
जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में 4 महिला वादियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने मांग की है कि शिवलिंग के नीचे अरघे और आसपास की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा था कि यह काम शिवलिंग को छेड़छाड़ किए बिना होना चाहिए, यह चाहे कार्बन डेटिंग से हो या किसी अन्य तरीके से किया जाए।
वहीं वादी राखी सिंह के अधिवक्ता ने कार्बन डेटिंग से शिवलिंग के खंडित होने का अंदेशा जताया था। मुस्लिम पक्ष ने भी पत्थर और लकड़ी की कार्बन डेटिंग नहीं होने का हवाला दिया था।
गौरतलब है कि दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह तथा वाराणसी की चार महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के रोजाना दर्शन-पूजन और विग्रहों की सुरक्षा के लिए वाराणसी की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दाखिल की थी।
अदालत के आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था। इसी दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक पत्थर मिला था। हिन्दू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह हौज में लगा फव्वारा है।
बहरहाल, मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है, लिहाजा यह सुनने योग्य नहीं है। अदालत ने पिछली 12 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई करने योग्य है।