नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को राज्यसभा में इन खबरों को बेबुनियाद बताया कि अमेरिका में नौकरी करने वाले भारतीयों के लिए एचवनबी वीजा देते समय जीवनसाथी को वीजा देने का प्रावधान
खत्म कर दिया गया है।
स्वराज ने अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयन के एचवनबी वीजा से जुड़े कांग्रेस के आनंद शर्मा के पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए यह स्पष्टीकरण दिया। शर्मा ने स्वराज से कहा कि अमेरिका में काम करने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए एचवनबी वीजा की न केवल संख्या कम कर दी गई है बल्कि वीजा की फीस भी काफी बढ़ा दी गई है और इसमें जीवनसाथी का वीजा भी खत्म कर दिया गया है। इस पर स्वराज ने कहा कि जीवन साथी का कोई वीजा खत्म नहीं हुआ है, वह एचवनबी वीजा की संख्या कम होने और फीस कम होने आदि के बारे में एक विस्तृत बयान सदन में देंगी।
इससे पहले श्री शर्मा ने शून्यकाल में भी इस मुद्दे को उठाया था। मैत्रेयन के मूल प्रश्न के जवाब में विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुलाकात के दौरान हुए करार पत्र में भले ही एचवनबी वीजा शब्द का जिक्र न हो लेकिन उस करार की भावना में यह निहित है और प्रधानमंत्री ने ट्रम्प से यह मनवा लिया कि भारत के कुशल आईटी पेशेवरों से अमेरिका की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है और इस बात को ट्रम्प ने स्वीकार भी किया।
उन्होंने यह भी बताया कि मोदी की इजरायल यात्रा के दौरान सीमा पर ई-सुरक्षा बोर्ड लगाने की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बारे में भी चर्चा हुई। विदेश मंत्री ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा ने इन आरोपों को भी बेबुनियाद बताया कि रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम विफल हो रहा है और विदेशों के बने सामानों पर केवल भारतीय ठप्पा लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पहली बार रक्षा क्षेत्र को स्वावलंबी बनाने के लिए सौ प्रतिशत विदेशी पूंजी निवेश शुरू किया है और आज तक किसी भी सरकार ने रक्षा क्षेत्र को स्वालंबी बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। (वार्ता)