Gyanvapi Case : ASI की याचिका स्वीकार, 24 जनवरी तक टली सर्वे रिपोर्ट

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 6 जनवरी 2024 (22:12 IST)
वाराणसी की अदालत करेगी सर्वे रिपोर्ट पर फैसला
मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाएं हुई थीं खारिज
ज्ञानवापी की एएसआई सर्वे रिपोर्ट मामला
Gyanvapi campus survey report matter postponed : वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Mosque Complex) पर एएसआई (ASI) की सीलबंद रिपोर्ट सार्वजनिक करने और पक्षकारों को प्रतियां उपलब्ध कराने के बारे में निर्णय लेने के लिए शनिवार को 24 जनवरी की तारीख तय की। इस आशय का आदेश शनिवार को जिला जज एके विश्वेश की अदालत में दिया गया।

हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के साथ-साथ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकील भी अदालत में मौजूद थे। अदालत ने कहा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला आने से पहले सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रतियां सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा। फास्ट ट्रैक कोर्ट इस मामले पर 19 जनवरी को सुनवाई करेगा। 
 
एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी। एएसआई ने बुधवार को चार सप्ताह का समय मांगते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला दिया जिसमें निचली अदालत को मामले को छह महीने के अंदर निबटाने और जरूरत पड़ने पर एएसआई को संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कराने के आदेश देने की बात कही।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद की मौजूदगी वाली जगह पर कथित मंदिर के जीर्णोंद्धार की मांग संबंधी मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
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न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि वर्ष 1991 का पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) किसी प्रार्थना गृह के धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं करता है और इसे केवल विरोधी पक्षों द्वारा अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है।
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जिला अदालत के 21 जुलाई 2023 के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था। इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि 17वीं शताब्दी में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं?
 
जिला अदालत में बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में अपने आवेदन का हवाला देते हुए मस्जिद के 'वजू खाने' की सफाई की अनुमति मांगी थी। मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वज़ू खाना उसकी संपत्ति है और इसे साफ़ करने की जिम्मेदारी उन्हें दी जानी चाहिए।
Edited By : Chetan Gour 

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