मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर भारत में कई बार विवाद उठते रहे हैं। पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना भारत विभाजन की घटना के खलनायक माने जाते हैं। लेकिन अब जिन्ना नाम को लेकर आंध्रप्रदेश के गुंटूर में विवाद उठा है।
गुंटूर की 77 साल पुरानी जिन्ना मीनार अचानक चर्चाओं में आ गई। सोशल मीडिया से लेकर कई न्यूज वेबसाइट्स में इसे लेकर सुर्खियां हैं। बता दें कि पूरे देश में लियाकत अली जिन्ना के नाम पर ये अकेली इमारत है।
आखिर क्या है मामला?
दरअसल हिंदू वाहिनी के लोग 26 जनवरी को इस पर तिरंगा फहराना चाहते थे। इसके बाद राज्य की भाजपा ने इसका नाम बदलने की मांग शुरू कर दी है।
हालांकि आपको बता दें कि इस मीनार के बनने और इसका नाम जिन्ना पर रहने की कहानी भी दिलचस्प है।
मोहम्मद अली जिन्ना को भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की घटना में खलनायक माना जाता है। जहां मोहम्मद अली जिन्ना के नाम को लेकर उत्तर प्रदेश के चुनावों में विवाद छिड़ हुआ है, वहीं वहीं आंध्रप्रदेश में भी जिन्ना का नाम विवादों में आ गया।
दरअसल मामला आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले का है, जहां यह देश में अकेली इमारत जिन्ना के नाम पर है। इसे जिन्ना टॉवर कहा जाता है।
इस गणतंत्र दिवस पर वहां हिंदू वाहिनी के लोगों ने तिरंगा लहराने की जिद पकड़ ली, जिस पर काफी मामले ने तूल पकड़ा तो उसके बाद अब राज्य की बीजेपी ने इस टॉवर का नाम बदलने की मांग की है।
हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी इसे केवल सियासी दावंपेंच बताकर हवा नहीं देना चाहते, लेकिन ये बात है तो दिलचस्प कि आखिर देश में जिन्ना के नाम पर यहां एक मीनार कैसे है। अब तक इस मीनार के नाम को लेकर कभी ऐसा विवाद नहीं रहा लेकिन इस बार जरूर ये सुर्खियों में है।
कब बनवाई थी और क्यों?
1945 में बनी ये मीनार महात्मा गांधी रोड पर शान से खड़ी है। भारत में ये एक ऐसी अकेली इमारत है जिसका नाम जिन्ना रखा गया है। ये मीनार जिन्ना की याद में बनवाई गई थी। मीनार आंध्र के जिस गुंटूर में है, ये समुद्र तटीय इलाका है।
शहर का मुख्य बाजार वाले इलाके के बीचों बीच ये ऊंची मीनार अलग ही नजर आती है। इसके नाम को लेकर यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ। गुंटूर के लोग इस मीनार को शहर की शान भी कहते हैं। संयोग से ये मीनार जिस रोड़ पर है, उसका नाम महात्मा गांधी रोड है।
गुंटूर में ये मीनार जिन्ना के सम्मान में बनवाई गई थी। अब ये यहां हैरिटेज इमारत भी है। इसे लेकर कई कहानियां कही जाती हैं। जिन लोगों की नजर पहली मर्तबा इस टावर पर पड़ती है, वह यही सवाल करते हैं कि जिन्ना के नाम पर यह खूबसूरत मीनार यहां क्यों?
ये बताया जाता है कि आजादी से पहले 1939 में मुहम्मद अली जिन्ना कुछ दिनों के लिए गुंटूर आए थे। यहां उन्होंने बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। बस उसी की याद में यहां मीनार बनवा दी गई।
एक किस्सा ये है कि जुदा लियाकत अली खान आजादी से पहले मुस्लिम लीग के बड़े नेता थे और जिन्ना के प्रतिनिधि भी। वो जब आजादी से पहले गुंटूर आए तो उनका जोरशोर से स्वागत किया गया। पूर्व राज्यसभा सदस्य और तेलगू देशम पार्टी के उपाध्यक्ष एसएम बाशा के ग्रेंडफादर लालजन बाशा ने जुदालियाकत के स्वागत में जिन्ना मीनार ही बनवा डाली।
दूसरी कहानी ये है कि 1942 में गुंटूर के तत्कालीन विधायक एसएम लालजन बाशा ने यहां पर मोहम्मद अली जिन्ना को बुलाकर बड़ी रैली करने की योजना बनाई थी। जब ये योजना बन रही थी तो जिन्ना के सम्मान में इस टॉवर का निर्माण शुरू हो गया।
हालांकि जिन्ना यहां नहीं आ सके। लेकिन इस इमारत पर काम जारी रहा। 1945 में जब ये टॉवर बनकर तैयार हो गया तो इसे जिन्ना टावर सेंटर नाम दिया गया।
अब ये मीनार यहां की लैंडमार्क इमारत भी है, जो यहां आता है, इस मीनार को देखने जरूर जाता है। ये छह स्तंभों पर खड़ी है। इसका ऊपरी हिस्सा गुंबदनुमा है। ये विशुद्ध तौर पर 20सदी के शुरू का मुस्लिम स्थापत्य है। हालांकि, आंध्र प्रदेश के कई संगठन जिन्ना टावर को ध्वस्त करने की मांग भी सरकार के समक्ष रखी थी, जिसे आंध्र प्रदेश सरकार ने खारिज कर दिया।